ना मैं आहें भरुंगा और न मैं आंसू बहाउंगा
तुम्हारी याद आयेगी तो बस इक गीत गाऊंगा
तुम्हारी याद आयेगी तो बस इक गीत गाऊंगा
मेरी तन्हाई की दौलत तो मुझसे छिन नहीं सकती
तुम्हारा नाम लेकरके दोस्त जी भर गीत गाऊंगा
तुम्हारी बेवफाई को छुपाकर दिल के लॉकर में
खुशी की ओढ़कर चादर जमाने को दिखाउंगा
भुलाऊं मैं तुम्हें ये तो नहीं मुमकिन मगर फिर भी
जहाँ तक हो सकेगा दर्द ये दुनियाँ से छिपाउंगा
तुम्हें शायद किसी दिन आ जाये बफा मेरी
उसी दिन के लिए जीता रहूंगा, मुस्कराउंगा
4 comments:
तुम्हें शायद किसी दिन आ जाये बफा मेरी
उसी दिन के लिए जीता रहूंगा, मुस्कारुंगा
बहुत सुन्दर रचना है बधाई
बहुत सुन्दर रचना बधाई...
भुलाऊं मैं तुम्हें ये तो नहीं मुमकिन मगर फिर भी
जहाँ तक हो सकेगा दर्द ये दुनियाँ से छिपाउंगा
bahut sundar rachana hai .
बहुत सुंदर रचना
धन्यवाद
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