श्याम की बन्शी से झुक गयी थी डाली
श्याम फूल चुन करके
राधा का जूडा सजा मन्द मन्द मुस्काते थे
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रसखान बोले कि मानव जनम मिले
कदम्ब के पेड हो, कालिन्दी बह्ती हो
ऐसी जगह जन्मू
यशोदा के लाल जहा राधिका को नचाते है
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महिमा भी जान लो कदम्ब के पेडन की
फूलो से इत्र बने पत्ती को कूटने पर
दवाओं के सेवन से
डाईबिटीज जैसे भी रोग नष्ट हो जाते है
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लम्बे और फ़ैले से, अति सुन्दर पेड हॊतॆ
मनभावन फूल जिसके, जड से पत्ती तक
फूल से टहनी तक
ऐसा ना कुछ भी जो काम ना आते है
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भादों के महीने में पूजा होती कदम्ब की
धार्मिक लोग भारत के सबके कल्याण हेतु
कदम्ब की टहनी को
आंगन मे लगवा के इसकी पूजा कराते हैं