श्याम की बन्शी से झुक गयी थी डाली
श्याम फूल चुन करके
राधा का जूडा सजा मन्द मन्द मुस्काते थे
*****
रसखान बोले कि मानव जनम मिले
कदम्ब के पेड हो, कालिन्दी बह्ती हो
ऐसी जगह जन्मू
यशोदा के लाल जहा राधिका को नचाते है
*****
महिमा भी जान लो कदम्ब के पेडन की
फूलो से इत्र बने पत्ती को कूटने पर
दवाओं के सेवन से
डाईबिटीज जैसे भी रोग नष्ट हो जाते है
*****
लम्बे और फ़ैले से, अति सुन्दर पेड हॊतॆ
मनभावन फूल जिसके, जड से पत्ती तक
फूल से टहनी तक
ऐसा ना कुछ भी जो काम ना आते है
*****
भादों के महीने में पूजा होती कदम्ब की
धार्मिक लोग भारत के सबके कल्याण हेतु
कदम्ब की टहनी को
आंगन मे लगवा के इसकी पूजा कराते हैं
12 comments:
बडा ही मन भावन लगा कदम्ब का पेड ...........ऊतम रचना ...................बधाई
बहुत अच्छा लगा आप का यह कदम्ब का पेड.
धन्यवाद
sundar
अरविन्द जी मेरा व्लोग धन्य हो गया आप्की छोटी सी टिप्पणी पाकर. आभारनत
kavita sundar hai.badhaaee.
सुन्दर कविता के साथ जानकारी भी
बहुत खूब !!!
ये कविता निहाल हो गयी. पह्ले अरविन्द पा़डे जी और फिर प्राण शर्मा जी का ब्लोग तक आना. इतनी खुशी कि लिखने को शब्द नही़ है़
ओम जी, राज भाटिया सर और सेहर जी आप सब्का इस साधारन कविता को सराहना मेरा हो़सला बढायेगा.
पुन: आभार
अब तो बहुत जगह कदम्ब के पेड़ बचे ही नहीं हैं.
waah kadamb ke ped ke gun itane mahaan hai aapse jaana shukriya ! ghani ghani khamma!!
बच्चे सब कन्हिया बनना चाहते हैं लेकिन शहर में न तो यमुना है और कदम्ब का पेड़....
aapne istemaal kiya ya nahi ?
aapne istemaal kiya ya nahi ?
Post a Comment