नदी के तट से देखा हमने ऐसा अनगिन बार हुआ,
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ।
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ।
जेहन की खिड़की खोलके हमने जब-जब झांका जीवन में,
अपने अहम् को अपने कद से ऊंचा आँका जीवन में।
इतनी जेहनी हुई जिन्दगी जीना तक दुस्वार हुआ,
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ।
नदी के तट से देखा हमने -----
सोच समझ शतरंज बिछाई समझ बूझ कर चाल चली,
हैरत में रह गए देखकर अपनी सह पर मात मिली।
पिटती रही जतन की गोटें वक़्त का जय जयकार हुआ,
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ.
नदी के तट से देखा हमने - - - -
मिली किसी को भर के सुराही कही घूँट दो घूँट मिली,
मैखाने से कैसा शिकवा क्या साकी से टला माली।
hअमको जितनी मिली उससे से अपना उद्धार हुआ,
मिली किसी को भर के सुराही कही घूँट दो घूँट मिली,
मैखाने से कैसा शिकवा क्या साकी से टला माली।
hअमको जितनी मिली उससे से अपना उद्धार हुआ,
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ।
नदी के तट से देखा हमने - - - -
याचक बनकर कभी ना माँगा गरिमा हो या गुंजन हो,
गिरकर नही उठाया कुछ भी कौडी हो या कंचन हो।
सदा प्रार्थना की बेला में निराकार साकार हुआ,
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ।
नदी के तट से देखा हमने - - - -
नदी के तट से देखा हमने - - - -
याचक बनकर कभी ना माँगा गरिमा हो या गुंजन हो,
गिरकर नही उठाया कुछ भी कौडी हो या कंचन हो।
सदा प्रार्थना की बेला में निराकार साकार हुआ,
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ।
नदी के तट से देखा हमने - - - -