Wednesday, August 24, 2011

कुछ टूटे फूटे शब्द



मोहब्बत एक पूजा है अगर आँखों मे  पानी है
मोहब्बत दो दिलो के तीर पे गंगा का पानी है
सच्चे लोग पीते हैं मोहब्बत रस के प्याले को
झूठे प्रेमियों के लिए तो ये बोत्तल का पानी है
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रसीले होठ तेरे थे सुखद अहसास मेरे थे
सुनहरे केश तेरे थे लिपटते गाल मेरे थे
मगर जब स्वप्न टूटा तो यही सच सामने आया
न तू मेरी न मैं तेरा सुखद वो स्वपन मेरे थे
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भोर की पहली किरण कहती सुवह से,
मैं प्रथम उस सूर्य की अभिसारिका हूँ
तुम भले नित की करो जलपान उसके साथ पर
मैं प्रथम उस सूर्य की परिचारिका हूँ।