Thursday, June 10, 2010

मेरी ब्लॉग यात्रा और नए नए रिश्ते - 2 कल तुमको मैंने एक गीत सुनाया था



कल तुमको मैंने एक गीत सुनाया था
ब्लॉग जगत को थोड़ा थोड़ा भाया था 
कुछ गीत लिखे मैंने फिर इसी ब्लॉग पर ही 
कुछ सुधी जानो ने  दी थी वहा टिप्पणिया भी
उड़न तश्तरी वाले मिले समीर लाल 
तो फुर्सत से  देते कमेन्ट फ़ुरसतिया जी 

अविनाश मिले  नुक्कड़ से जोड़ा हमको भी
थोड़ी चिक चिक के बाद जुड़े सुशील कुमार 
था जोश बड़ा उनको तो अच्छा लिखने का 
पर नयी पोस्टिंग ने उस क्रम को तोड़ दिया 
फिर सूर्यकान्त जी मिले सपत्नी ऑरकुट पर 
हौले हौले वो बढ़ने लगे ब्लॉग पर भी 

इन दिनों पूर्णिमा जी ने कुछ टोपिक देकर 
हमसे कुछ गंभीर  काव्य लिखवा डाला
ऐसे ही अनुराधा जी ने भी दीदी बनकर
दे देकर कुछ  आदेश गद्य लिखवा डाला 
फिर मिले हमें कुछ बड़े ३६ गढ़ी ब्लोगर 
मूछो वाले हैं ललित बने छोटे भैया 

एक पावला जो टाले हर तकनीक बला
मिले अजय झा, लिखें पोस्ट निरंतर ही
राजीव मिले जो बिना तने- जा-ते लिखते
ये दौर था ऐसा जब पढ़ते तो बहुत पोस्ट 
पर ना कमेन्ट ना चटके का था हमें जोश 
इसलिए हमें भी कम ही कमेन्ट मिला करते 

कविता अभी जारी है. अगले अंक मे जोधपुर ब्लोगर मिलन और उसके कारण जुड़े नये ब्लोगर साथियो पर कुछ लिखने की कोशिश होगी. जिनके भी नाम यहाँ आये है वो सभी मेरे लिए बहुत सम्मानित व्यक्ति हैं. मेरे और पोस्ट के खिलाफ कमेन्ट का स्वागत है अगर भाषा ठीक हो.  प्यार बनाए रखिये.