ओह ये तीन कुख्यात खिलाड़ी यहाँ क्या कर रहे हें ?
इनका तो उचित सम्मान किया जाना चाहिए.
आओ रे पाकिस्तान के सभी खेल प्रेमियों
अपने खलनायको का मिलकर सत्कार करें.
कसम है एक एक पाकिस्तानी को
इनके घर तक इनका उचित सत्कार करना है
सब अपने अपने जूते अपने हाथ में लेंगे और फिर
जूतों को अस्त्र और शस्त्र दोनों समझकर उचित सत्कार करेंगे.
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पर चचाजान इन लोगों ने ऐसा किया क्या है?
बेटा मत पूछ, इन लोगों ने अपने परिवार, शहर, देश, इस्लाम
और सबसे बढ़कर इंसानियत की ऐसी तैसी की है.
चचाजान क्या अल्लाह इनको कभी माफ़ कर सकेगा ?
बेटा इन्हें अल्लाह कभी माफ़ नही करेगा और पता है दंड में इन्हें फिर से ही पाकिस्तान में जनम लेने की सजा देगा.
बेटा नरक में रहने और पाकिस्तान में रहने में कोई फर्क नहीं है.