हिन्दी और बृज भाषा के सुप्रसिद्ध गीतकार श्रद्धेय सोम ठाकुर पिछले दिनों जयपुर आये. गीत चांदनी कवि सम्मलेन जो कि देश में अपनी तरह का अकेला आयोजन है और तरुण समाज प्रति वर्ष शरद पूर्णिमा के बाद के शानिवार की रात को आयोजित करता है. उसमें अन्य गीतकारो के साथ .अपने संस्कार, माधुर्य और राष्ट्रीय चेतना से भरे गीतों को अपने मीठे कंठ से गाकर मुग्ध करने वाले सोम जी इस कवि सम्मलेन का आकर्षण थे.
कवि सम्मलेन की समाप्ति पर जैसे कि मेरी आदत है अपने मनपसंद कवियों से मिलने की, तो मैं सोम जी से भी मिला और जब पता चला कि वो रविवार को जयपुर ही रुकेंगे तो मैंने उनसे एक ब्लॉग साक्षात्कार के लिए निवेदन किया जिसके लिए उन्होंने सहर्ष स्वीकृति दे दी.
ये ब्लॉग साक्षात्कार रविवार २४.१०.२०१० को मेरे निवास पर हुआ और उससे पहले कवि सम्मलेन की एक घटना बताना चाहता हूँ. मेरी आदत है कि जो कवि मुझे पसंद हैं, उनके गीत की पंक्तियाँ या गीत नही मैं पूरे कवि को याद कर लेता हूँ. यहाँ पूरे कवि से मतलब उनकी लोकप्रिय रचनाये. ये कहानी श्री आत्म प्रकाश शुक्ला जी से शुरू हुई फिर बच्चन जी, नीरज जी, सोम जी, डा. कुमार विश्वास, डा. विष्णु सक्सेना, कुंवर जावेद तक पहुँची है. तो सोम जी अपने जागरण गीत पर अटक गए. थोड़ी देर प्रयास किया याद करने का फिर मैंने जोर से बोलकर उन्हें आगे की पंक्तिया याद दिलाये और उन्होंने गीत पूरा किया. यही घटना २००० की गीत चांदनी में कुमार विश्वास के साथ भी हुई थी. तब डा. कुमार विश्वास अपनी अचर्चित रचना रूपा रानी बड़ी सयानी ........ को बीच में भूल गए तो थोड़ी देर बाद मेरे से बोले कि शर्मा जी बताइये ना आगे क्या है. ऐसी घटनाए जिन्दगी भर याद रहती हैं. अभी के लिए श्री सोम ठाकुर जी का ये नवगीत पढ़िए. अगली पोस्ट में सिर्फ उनसे मुलाक़ात पर बात होगी.