मोहब्बत एक पूजा है अगर आँखों मे पानी है
मोहब्बत दो दिलो के तीर पे गंगा का पानी है
सच्चे लोग पीते हैं मोहब्बत रस के प्याले को
झूठे प्रेमियों के लिए तो ये बोत्तल का पानी है
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रसीले होठ तेरे थे सुखद अहसास मेरे थे
सुनहरे केश तेरे थे लिपटते गाल मेरे थे
मगर जब स्वप्न टूटा तो यही सच सामने आया
न तू मेरी न मैं तेरा सुखद वो स्वपन मेरे थे
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भोर की पहली किरण कहती सुवह से,
मैं प्रथम उस सूर्य की अभिसारिका हूँ
तुम भले नित की करो जलपान उसके साथ पर
मैं प्रथम उस सूर्य की परिचारिका हूँ।
8 comments:
isse imandar chitran nahi ho sakta shayd ho sakta ho acha ho par imandar nahi
vnadan
बहुत सुन्दर महाराज जी ....
achi rachana he
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
अरे! कहाँ टूटे-फूटे शब्द हैं.... हर शब्द तो अपने आप में ही मुकम्मल है....इतनी सुंदर और अच्छी रचना पढ़ाने के लिए आपका बहुत आभारी हूँ...
सुन्दर मुक्तक. बधाई.
बेहतरीन मुक्तक हैं तीनों, वाह!
Shandar muktak
behatrin
"मोहब्बत एक पूजा है अगर आँखों मे पानी है ?
मोहब्बत दो दिलो के तीर पे गंगा का पानी है ?
सच्चे लोग पीते हैं मोहब्बत के रस के प्याले को,
झूठे प्रेमियों के लिए तो ये सिर्फ बोत्तल का पानी है ?"
सच कहा आपने --- "आजकल सच्ची मुहब्बत होती कहा हैं जी ---सबके दिल पत्थर के और बोत्तल में रंगीन पानी होता हैं --जब ये पानी पेट में जाता हें तो मुहब्बत रंगीन नजर आती हें -और जब ये उतरता हें तो वही रंगीनियाँ विरानियाँ नजर आती हैं ...."
"मुहब्बत के लिए कुछ खास दिल मखसूस होते है !
यह वो नगमा हैं जो, हर साज़ पर गया नहीं जाता !!"
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