Tuesday, July 7, 2009

कदम्ब का पेड़


कालंदी नदी तट पर पेड़ है कदम्ब का
श्याम की बन्शी से झुक गयी थी डाली
श्याम फूल चुन करके
राधा का जूडा सजा मन्द मन्द मुस्काते थे
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रसखान बोले कि मानव जनम मिले
कदम्ब के पेड हो, कालिन्दी बह्ती हो
ऐसी जगह जन्मू
यशोदा के लाल जहा राधिका को नचाते है
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महिमा भी जान लो कदम्ब के पेडन की
फूलो से इत्र बने पत्ती को कूटने पर
दवाओं के सेवन से
डाईबिटीज जैसे भी रोग नष्ट हो जाते है
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लम्बे और फ़ैले से, अति सुन्दर पेड हॊतॆ
मनभावन फूल जिसके, जड से पत्ती तक
फूल से टहनी तक
ऐसा ना कुछ भी जो काम ना आते है
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भादों के महीने में पूजा होती कदम्ब की
धार्मिक लोग भारत के सबके कल्याण हेतु
कदम्ब की टहनी को
आंगन मे लगवा के इसकी पूजा कराते हैं

12 comments:

ओम आर्य said...

बडा ही मन भावन लगा कदम्ब का पेड ...........ऊतम रचना ...................बधाई

राज भाटिय़ा said...

बहुत अच्छा लगा आप का यह कदम्ब का पेड.
धन्यवाद

Anonymous said...

sundar

Unknown said...

अरविन्द जी मेरा व्लोग धन्य हो गया आप्की छोटी सी टिप्पणी पाकर. आभारनत

PRAN SHARMA said...

kavita sundar hai.badhaaee.

Ria Sharma said...

सुन्दर कविता के साथ जानकारी भी

बहुत खूब !!!

Unknown said...

ये कविता निहाल हो गयी. पह्ले अरविन्द पा़डे जी और फिर प्राण शर्मा जी का ब्लोग तक आना. इतनी खुशी कि लिखने को शब्द नही़ है़
ओम जी, राज भाटिया सर और सेहर जी आप सब्का इस साधारन कविता को सराहना मेरा हो़सला बढायेगा.
पुन: आभार

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

अब तो बहुत जगह कदम्ब के पेड़ बचे ही नहीं हैं.

Murari Pareek said...

waah kadamb ke ped ke gun itane mahaan hai aapse jaana shukriya ! ghani ghani khamma!!

Unknown said...

बच्चे सब कन्हिया बनना चाहते हैं लेकिन शहर में न तो यमुना है और कदम्ब का पेड़....

दर्शन कौर धनोय said...

aapne istemaal kiya ya nahi ?

दर्शन कौर धनोय said...

aapne istemaal kiya ya nahi ?