Wednesday, September 29, 2010

मेरी ब्लॉग यात्रा - जोधपुर ब्लोगर मिलन की तैयारी

पूर्व में  मैंने अपनी ब्लॉग यात्रा के काव्य माय संस्मरण लिखे थे उस कड़ी को आगे बढ़ा रहा हूँ. जोधपुर ब्लोगर मिलन मेरी ब्लॉग यात्रा का एक महत्वपूर्ण पडाब था. यादो के सहारे इसे स्मरण की कोशिश की है. जिन साथियो ने इस क्रम के पिछले लेख नही पढ़े है उनके  लिंक नीचे दी जा रही है. 



अब तक मैंने जितना गीत सुनाया है
मेरे मन का भाव पोस्ट पर आया है



एक दिवस था मिला एक शुभ समाचार
अनवरत के लेखक श्री दिनेश के बारे  मे
वो आयेंगे निज काम जोधपुर नगरी मे
हमने उनको मिलने  का प्रस्ताव किया



थे अहोभाग्य इस छोटे  मोटे ब्लोगर के
वकील साहब ने दूरभाष सम्पर्क किया
खुद ही मिलने वो आये मेरे ओफ़िस में
ऐसे मेरा उनसे पहला सम्पर्क हुआ

जब मिले बड़े छोटे ब्लोगर तब ही
औरो से भी मिलाने हमने भी ठानी
तय हुआ दिवस तो  करी सूचना भी
यूँ  प्रथम जोधपुर ब्लोगर मिलन हुआ

पहले तो सक्रिय ब्लोगरो की खोज करी
फिर उनको दी इत्तला सबसे मिलने की
राकेश भाई से परिचय था पहले से ही
फिर मिली शोभना हुई बात इस मिलने की 

कुश से भी कीन्ही बात हुए वो भी राजी 
संजय व्यास को भी फिर ढूढ़ निकाला था 
छः लोगो का उस दिन मिलना पक्का था
सबने आकर इस अवसर को सम्मान दिया.  
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Friday, September 24, 2010

नरगिस के फूल


फिर रहा था बादल बन गिरिशिखर के उपर,
देखा था एक झुंड सा अचानक से नीचे,
बिछा हुआ था स्वर्णिम नरगिस पुष्पों का
नरगिस के फूल झील के किनारे, पेडों के बीच
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जैसे सदा जगमग चमकते आकाशगंगा के तारे
अनंत विस्तार तक प्रकाश बिखेर रहे थे
तब सजे थे करीने से थोड़े थोड़े अंतर पर
नयनो में बसा लिया उनका प्रमुदित नृत्य
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चल रहा था पास उनके लहरों का नर्तन
हर्ष से सराबोर हो मै ले रहा आनंद जिसका
रोशनी का जन्मदिन प्रकाश ही प्रकाश जैसे
आनंद की दौलत समेटता रहा निहार ये सब
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अब भी कभी खाली समय मन हो उदास तब
दृश्य वही नयनो में खिचे चले आते हैं
एकांत का साथी वो दृश्य कितना प्यारा है
नयनो़ मे़ नर्गिस की छवि अटक जाती है।
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( विलियम वर्डसवर्थ की कविता ’ डेफोडिल्स' के भाव लिए गए हैं )

Tuesday, September 21, 2010

प्रसाद कुलकर्णी के साथ २ दिन



तुम प्रसाद हो भाई मराठी हम प्रसाद राजस्थानी 
तुम हो कलाकार चौतरफा हम ठहरे भैया अज्ञानी
 १६ सितम्बर को कोटा से अपना कार्यक्रम समाप्त कर दिन में जयपुर पहुंचे मराठी कवि, लेखक, वक्ता और कार्यक्रम संचालक श्री प्रसाद कुलकर्णी के साथ ब्लॉग लेखक हरि शर्मा अपने निवास पर.





शब्दों के सौदागर हो तुम  ये तो था मालूम हमें 
यारो के भी यार बनोगे ये हमको मालूम ना था  


जीवन क्या है एक यात्रा आनंदों से भरी हुई
अपनी भाषा सर माथे  बस खुसबू से भरी हुई

प्रसाद कुलकर्णी जी ने अपनी इस यात्रा की समाप्ति पर जो तुरंत सन्देश भेजा वो नीचे चिपका दिया गया है. मैं उनके मराठी समुदाय के कार्यक्रम में शामिल हुआ. भाषा की समस्या थी और सिर्फ मेरे लिए उन्होंने अपने कुछ मराठी मुक्तको का हिन्दी अनुवाद करके सुनाया.

एक चुटकुले पर जब मैंने ताली बजाई तो उन्होंने चुटकी ली कि इस मराठी चुटकुले पर उस मित्र ने ताली बजायी है जिसे मराठी बिल्कुल नही आती. वैसे में उसका मतलब समझ गया था. चुटकुला हिन्दी में कुछ इस प्रकार था -

एक पुरुष बाजार जाएगा तो काम की ३० रुपये की वस्तु ५० रुपये में खरीद लाएगा लेकिन अगर महिला बाजार जायेगी तो ५० रुपये की उस वस्तु ३० रुपये में ले आयेगी जो उसे कभी काम ना आनी हो.

Hariji, namsakar.



My Jaipur tour became most memorable because of you.

Your passion towards poetry and a strong will to strengthen the bond of friendship made me to remeber you for a lifetime.

I am enclosing herewith our photo taken at your home.



Rest all ok.

phir milenge.  

Wednesday, September 15, 2010

मराठी शुभकामना संदेशो के प्रणेता प्रसाद कुलकर्णी आज जयपुर में


मराठी भाषा के जाने माने टी वी कार्यक्रम संचालक, उद्घोषक और प्रसिद्ध कवि श्री प्रसाद कुलकर्णी आज से २ दिन के जयपुर दौरे पर हें. मुंबई निवासी प्रसाद कुलकर्णी पेशे से अभियंता हें लेकिन अपनी प्रतिभा, लगन और मेहनत के बल पर आज मराठी भाषा का लोकप्रिय नाम है.  महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में जन्मे श्री कुलकर्णी ने बहुत छोटी वे में कविताएं लिखना शुरू कर दिया था.  आपने अनेक बिषयों पर कविता लिखी है पर प्रेम के अनेक रूप उनकी कविता का सबसे लोकप्रिय सन्दर्भ रहा है. अभी तक उनके कविताओं की ४  पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हें और 12 कैसेट जारी हो जुकी हें. 

अभी तक ९ मराठी फिल्मो के गाने लिखने वाले श्री प्रसाद कुलकर्णी की असली पहचान मराठी में शुभकामना सन्देश के प्रणेता के रूप में है. उनके लिखे काव्यात्मक शुभकामना सन्देश अभी तक छाप चुके हें.  आपने ८ कोटेशन की किताबे और २ कंप्यूटर से सम्बंधित किताबे लिखी हैं. १०० से अधिक टी वी कार्यक्रम को होस्ट कर चुके प्रसाद  जी ने 400 से ऊपर  सार्वजनिक कार्यक्रमों में एकल प्रस्तुति दी है.  आप अनेक मराठी समाचार पत्र और पत्रिकाओं के नियमित कालम लेखक हैं.

Sunday, September 12, 2010

मैच फिक्सिंग, पाकिस्तान, क्रिकेट और जूतों से खलनायको का स्वागत



ओह ये तीन कुख्यात खिलाड़ी यहाँ क्या कर रहे हें ?
 इनका तो उचित सम्मान किया जाना चाहिए.


आओ रे पाकिस्तान के सभी खेल प्रेमियों
अपने खलनायको का मिलकर सत्कार करें.


कसम है एक एक पाकिस्तानी को
इनके घर तक इनका उचित सत्कार करना है




सब अपने अपने जूते अपने हाथ में लेंगे और फिर
जूतों  को अस्त्र और शस्त्र दोनों समझकर उचित सत्कार करेंगे.
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पर चचाजान इन लोगों ने ऐसा किया क्या है?
बेटा मत पूछ,  इन लोगों ने अपने परिवार, शहर, देश,  इस्लाम
और सबसे बढ़कर इंसानियत की ऐसी तैसी की है.    

चचाजान क्या अल्लाह इनको कभी माफ़ कर सकेगा ?
बेटा इन्हें अल्लाह कभी माफ़ नही करेगा और पता है दंड में इन्हें फिर से ही पाकिस्तान में जनम लेने की सजा देगा. 
बेटा नरक में रहने और पाकिस्तान में रहने में कोई फर्क नहीं है.



Friday, September 10, 2010

पहचानिए भारत के विभिन्न नागरिकों को


परिदृश्य - 1
दो लोग लड़ रहे हैं और एक तीसरा आदमी आता है उन्हें लड़ते देखता है और अपनी राह चला जाता है.

मुंबई वाला है.
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परिदृश्य - २
दो लोग लड़ रहे हैं. बाहर से दो लोग और आते है वो अपने दोस्तों को फ़ोन करते है और ५० लोग इकट्ठे हो जाते है और सब लड़ने लगते हैं.

आप निश्चित रूप से पंजाब में हैं.
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परिदृश्य - ३
दो लोग लड़ रहे हैं और एक तीसरा आदमी आता है और शांति बनाने की कोशिश करता है तो वो दोनों लोग लड़ना छोड़ उसे मारते हैं.

आप दिल्ली पहुँच गए हैं.
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परिदृश्य - ४
दो लोग लड़ रहे हैं. उन्हें लड़ते देखने के लिए भीड़ इकट्ठी हो जाती है. एक आदमी आता है और वहा एक चाय की थडी खोल लेता है.

ये पक्का है कि आप अहमदाबाद में हैं.
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परिदृश्य - 5
दो लोग लड़ रहे हैं और एक तीसरा आदमी आता है. वह लड़ाई को रोकने के लिए एक सॉफ्टवेयर   कार्यक्रम लिखता है.
लेकिन कार्यक्रम में एक वायरस की वजह से लड़ाई बंद नहीं कर पाता  है.

ये बंगलूर है.
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परिदृश्य - ६
दो लोग लड़ रहे हैं. एक भीड़ इकट्ठा हो गई है लड़ाई देखने के लिए एक आदमी के साथ आता है और दृढ़ता से कहता  है कि "यह सब बकवास है ..  ये अम्मा" को पसंद नहीं है. समस्या अम्मा सुलझाएंगी.

जनाब आप चेन्नई पहुँच गए हें.
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परिदृश्य - ७
दो लोग लड़ रहे हैं और एक तीसरा आदमी चौथे के साथ आता है और एक रूस  और एक चीन फोन कर पता करता  है कि कौन सही है.

आप कोलकाता में हैं.
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परिदृश्य - ८
दो लोग लड़ रहे हैं. तीसरा  आदमी घर से आता है और कहता है कि मेरे घर के सामने नहीं लड़ सकते,  कहीं और जाओ लड़ने के लिए.

ये तय है कि ये केरल है.
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 परिदृश्य - ९
दो लोग लड़ रहे हैं. तीसरा आदमी बियर की बोतलें लेके आता है.  सभी एक साथ बैठकर बीयर पीते हें  और एक दूसरे को गाली देते रहते हें और सभी दोस्त के रूप में घर जाते हें.

यार मौज करो आप गोआ पहुच गए हें.
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डिस्क्लेमर  - इसे शुद्ध हास्य के रूप में लिया जाये. ब्लॉग लेखक भारत की अनेकता में एकता में यकीन रखता है.