दो ईंट
एक पत्थर
कुछ सपने हैं अपने
नेह की बजरी विश्वास का सीमेंट
लो अपना तो बन गया घर
गालों में आंसू
लगते है मोती से
नैनों मे आस हो
सजना हो पास तो
नित नया मधुमास हो
किसने कहा सब कुछ नश्वर है
मेरे पास हैं उनकी यादें
उनके जाने के बाद भी
प्यार तो तब मानू
जब में यहाँ चुम्बन लूं
तुम वहां शर्मा जाओ
वो जुबान से हम आँख से लड़ते रहे
इसी चक्कर में आँख लड़ गयी
9 comments:
आंख लड़ी कम गड़ी अधिक ज्यादा होगी।
एक पत्थर दो ईंट से
सिर भी फूटते हैं
फिर देखना देख कर उन्हें
कितने फूटते (भागते) हैं ?
रचना अच्छी है.
प्यार तो तब मानू
जब में यहाँ चुम्बन लूं
तुम वहां शर्मा जाओ
इतनी गहरी शर्त न रखें। वैसे प्यार में शर्त होती ही कहाँ है।
वाह, वाह...
हम वरिष्ठ लोगों को भी प्रेरणा मिल गई!
बहुत सुन्दर!
hari ji bahaut khoob
गालों में आंसू
लगते है मोती से
नैनों मे आस हो
सजना हो पास तो
नित नया मधुमास हो
sach kaha aapne gaalo pr jab aanshu hote hai motihi lagte hai......
दो ईंट
एक पत्थर
कुछ सपने हैं अपने
नेह की बजरी विश्वास का सीमेंट
लो अपना तो बन गया घर
गालों में आंसू
लगते है मोती से
नैनों मे आस हो
सजना हो पास तो
नित नया मधुमास हो
ये पंक्तियाँ ...कविता की जान है ....बहुत खूब
मुक्तक कहूँ या क्षणिका.. सभी लाजवाब ..
प्यार तो तब मानू
जब में यहाँ चुम्बन लूं
तुम वहां शर्मा जाओ........bahut sunder !
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