दुःख सुख क्या है
वक्त का अँधेरा है
फैला है चारो ओर
कव होगा सवेरा
कब मिटेंगे दुःख मेरे
जीवन फिर महकेगा
दुःख के अंधेरो मे
आशा के होने से
विजली तो चमकती है
ऐसा समय आयेगा
फिर सुख के दिन होंगे
सूरज फिर चमकेगा
जीवन मे देखो तो
हैं रात बड़ी लम्बी
घनघोर है अँधेरा
दुःख का है कथानक
सुख महज प्रसंग है
कौन सदा चहकेगा
7 comments:
जीवन का यथार्थ!!
sach much sukh or dukh jeevan ki parchayee hi hai .nic poety
bahut hi ashawaadi
behtareen:)
सुन्दर भावाव्यक्ति.....
सादर
bahut badhiya likha hai ...har dukh ke baad khushi ka suraj to ugta hi hai ....
Shandar.
Attitude makes the diifference.
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