Sunday, September 12, 2010

मैच फिक्सिंग, पाकिस्तान, क्रिकेट और जूतों से खलनायको का स्वागत



ओह ये तीन कुख्यात खिलाड़ी यहाँ क्या कर रहे हें ?
 इनका तो उचित सम्मान किया जाना चाहिए.


आओ रे पाकिस्तान के सभी खेल प्रेमियों
अपने खलनायको का मिलकर सत्कार करें.


कसम है एक एक पाकिस्तानी को
इनके घर तक इनका उचित सत्कार करना है




सब अपने अपने जूते अपने हाथ में लेंगे और फिर
जूतों  को अस्त्र और शस्त्र दोनों समझकर उचित सत्कार करेंगे.
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पर चचाजान इन लोगों ने ऐसा किया क्या है?
बेटा मत पूछ,  इन लोगों ने अपने परिवार, शहर, देश,  इस्लाम
और सबसे बढ़कर इंसानियत की ऐसी तैसी की है.    

चचाजान क्या अल्लाह इनको कभी माफ़ कर सकेगा ?
बेटा इन्हें अल्लाह कभी माफ़ नही करेगा और पता है दंड में इन्हें फिर से ही पाकिस्तान में जनम लेने की सजा देगा. 
बेटा नरक में रहने और पाकिस्तान में रहने में कोई फर्क नहीं है.



16 comments:

अविनाश वाचस्पति said...

दृश्‍य चित्रावली शानदार है।

Unknown said...

khel pramiyo ki bhavnao ko thess pahuchane wale khalnayako ka ghade par baitha kar maatami dhun bajate unka julus nikalna chahiye

Anonymous said...

यह भी शुद्ध हास्य है ना ?

शरद कोकास said...

यह भी शुद्ध हास्य है ना ?

Unknown said...

bhai Anonymous chitra bilkul sachche hai haa ant mai jo likhaa hai vo haasya hai lekin shuddh hai iskaa daava nahe hai

aapkee teep swaagat yogya aur saamyik hai aap naam bhee dete to achchha lagtaa

Unknown said...

sharad jee mujhe lagaa ki itnee mahatvapoorn aur saarthak chutkee jaror kisee gambheer dost kee hogee.

राज भाटिय़ा said...

सजा वाजिव है जी, हमारे सभी नेताओ को भी यही सजा मिले.... आमीन

राजीव जैन said...

badiya

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

जैसी करनी, वैसी भरनी!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बेटा नरक में रहने और पाकिस्तान में रहने में कोई फर्क नहीं है.
HA-HA-HA, BAHUT KHOOB !

रंजन said...

पाकिस्तान में तो बाढ़ आई है न?

विवेक रस्तोगी said...

बहुत सही

बीना शर्मा said...

अरे देश् बदलने े से व्यक्ति थोड़े ही बदल जाता है यह गन्दगी तो जहां दुष्ट है वहा होगी ही| लगता है आपकी खेलो में बहुत रूचि है

Dr. Amar Jyoti said...

:)

राजीव तनेजा said...

रोचक एवं भौंचक

Anju (Anu) Chaudhary said...

अपने लोगो की भावनायो के साथ खेलने की ये सज़ा भी कम है