Wednesday, June 9, 2010

मेरी ब्लॉग यात्रा और नए नए रिश्ते - 1

तोप ना बाबा बा - अब तोप का क्या काम, चलो ब्लॉग निकालते हैं  






ब्लॉग जगत में कुछ रिश्ते बन जाते है
वो  रिश्ते हमको याद बहुत ही आते हैं 

हम पहले चैटिंग ही करते थे 
चैटिंग से ही दोस्त बनाया करते थे 
तब चैटिंग में दिन में होली मनती थी
और रात को दीप जलाया करते थे
तभी एक दिन गूगल से होकर 
किसी ब्लॉग पर अपनी नज़र पडी

ब्लॉग  को पढ़कर मेरी आँख खुली
जैसे कि गंगा की हो धार मिली 
खेल खेल में थे कुछ ब्लॉग बने 
अलग अलग बिषयो पर अलग बने 
तभी एक ब्लोगर से बात हुई 
कुछ हम कहे है नाम ब्लॉग का तो 

लिखने वाली रहती  मुंबई में
नाम  अनीता प्रोफ़ेसर है जो
फिर हमने भी ध्यान दिया इस पर
कविता,  लेख लिखे कुछ ब्लोगर पर
शुरू  शुरू कोई पढ़ने नही आया 
जब तक ब्लॉग विवाद मे नही आया 


आगे पढ़िए अगली पोस्ट में जल्दी ही .........................




13 comments:

रंजन said...

सही जा रहा है... तोप मस्त है... मेहरानगढ़ कि है?

संगीता पुरी said...

शुरू शुरू कोई पढ़ने नही आया
जब तक ब्लॉग विवाद मे नही आया
हिंदी पाठकों की यही मानसिकता तो हिंदी की दयनीय स्थिति की जिम्‍मेदार है !!

राजीव तनेजा said...

सही कह रहे हैं आप ...अपने साथ भी कुछ-कुछ ऐसा ही हुआ था

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

लिखते रहो!
रिश्ते तो बनते ही जायेंगे!

अविनाश वाचस्पति said...

टुकड़ों में लिख रहे हो, मतलब टिप्‍पणियां बटोर रहे हो।

परमजीत सिहँ बाली said...

लिखते रहो ऐसे ही
पढ़ने वाले भी आएगें।
जो भी यहाँ आएंगें....
बिन टिपियाए ना जाएंगें।:))

बढिया है पोस्ट लिखी!

Randhir Singh Suman said...

nice

दिनेशराय द्विवेदी said...

श्रीगणेश अच्छा था, अनिता जी ही मिलीं।

शिवम् मिश्रा said...

बहुत बढ़िया !

राजकुमार सोनी said...

बहुत ही शानदार। तोप भी अच्छी है।

अजित गुप्ता का कोना said...

लिखने से अधिक पढ़ने से मित्र बनते हैं। यह मायने नहीं रखता कि आपकी पोस्‍ट पर कितनी टिप्‍पणी हुई परन्‍तु यह मायने रखता है कि आपने कितनी टिप्‍पणी की।

वाणी गीत said...

तोप का क्या काम ..चलो ब्लॉग लिखते हैं ...
हा हा हा ...
ब्लॉग लिखने वाले किसी अलग दुनिया से तो हैं नहीं ...लेखकों , साहित्यकारों की वास्तविक दुनिया भी कम राजनैतिक नहीं रह गयी है ...उसका असर यहाँ भी होना लाजिमी है ...

shikha varshney said...

बढ़िया शुरुआत है ,आगे का इंतज़ार है.