Friday, September 30, 2011

आओ ना मितवा अभी मन है प्यासा


आओ ना मितवा अभी मन है प्यासा
रुको जब तक हलचल है जीवित है आशा

यमुना का तट था औ कदम्बो की डाली
बिन राधा थे बैठे जहा श्याम खाली
बरनिया के कुंजो मे झूल्र थे हम तुम
उन सखियों से छिपकर मिले भी थे आली

तब पूनम की रातो में संग-संग विचरना
वो फूलो की सेजों पे खुद में सिमटना
वो कंपते से अधरों पे चुम्बन की वर्षा
याद है वो दोनों का एक होकर मिलना

याद है वो स्वप्निल सी भीगी-भीगी राते
तुमने लिखे ख़त और मीठी-मीठी सी बाते
जाओ ना मितवा अभी मौसम है प्यारा
अकेले खेल में झेलूँगा रोज शह और माते

आओ ना मितवा अभी मन है प्यासा
रुको जब तक हलचल है जीवित है आशा

25 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर गीत!!

निर्मला कपिला said...

सुन्दर गीत के लिये बधाई

"अर्श" said...

bahut hi khubsurat geet likhi hai aapne... bahut hi naazuk, nafis... maasomiyat ki baaten ki hai ... bahut achhi lagee... badhaayee kubul karen sahib..


arsh

ज्योति सिंह said...

bahut hi bhavpoorn aur sundar geet

Yashwant Mehta "Yash" said...

याद है वो स्वप्निल सी भीगी-भीगी राते
तुमने लिखे ख़त और मीठी-मीठी सी बाते
जाओ ना मितवा अभी मौसम है प्यारा
अकेले खेल में झेलूँगा रोज शह और माते

....geet bahut sundar hei....ye lines bahut hi acchi lagi

Pramendra Pratap Singh said...

अद्भुत रचना

rashmi ravija said...

बहुत ही भावपूर्ण और सुन्दर अभिव्यक्ति ....

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत रूमानी है.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर गीत प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद!

अजय कुमार झा said...

आहाहा वाह वाह क्या बात है हरि भाई ....सुंदर अति सुंदर ..मजा आ गया बहुत ही बढिया लगा ...
अजय कुमार झा

अनूप शुक्ल said...

सुन्दर है! बात मानी गयी कि नहीं?

राजीव तनेजा said...

सुन्दर प्रेम गीत

Kulwant Happy said...

याद है वो स्वप्निल सी भीगी-भीगी राते
तुमने लिखे ख़त और मीठी-मीठी सी बाते
जाओ ना मितवा अभी मौसम है प्यारा
अकेले खेल में झेलूँगा रोज शह और माते

अति सुंदर

Asha Pandey ojha said...

bahut bhawmay narm ahsas se bheega hua ...

अजय कुमार said...

प्यारा गीत ,बधाई

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

हरी जी ..इस उम्दा गीत के लिए बधाई...आपकी यह रचना और ब्लॉग आज मैंने चर्चामंच पर रखा है.. ...आप वहाँ भी अपनी अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराएं .. धन्यवाद ...
http://charchamanch.blogspot.com/2011/02/blog-post_18.html

Atul Shrivastava said...

आओ न मितवा...बहुत प्‍यारी रचना। बधाई आपको।

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..

Shikha Kaushik said...

vaivahik varshganth ki bahut bahut shubhkamnayen.
sundar geet.phir se bahut bahut badhaiyan...

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीय हरि शर्मा जी
सादर सस्नेहाभिवादन !

आओ ना मितवा अभी मन है प्यासा
बहुत सुंदर गीत है , बधाई !

पूनम की रातो में संग-संग विचरना
वो फूलो की सेजों पे खुद में सिमटना
वो कंपते से अधरों पे चुम्बन की वर्षा
याद है वो दोनों का एक होकर मिलना

आपके ब्लॉग की बहुत सारी रचनाएं देखी , सभी सरस सुंदर और पठनीय हैं ।
बहुत आनन्द आया आपके यहां आ'कर !


♥ बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! ♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

आदरणीय हरि शर्मा जी

आज आपकी वैवाहिक वर्षगांठ है
हार्दिक बधाई !


जीवन में खिलता रहे , बारह मास बसंत !
ख़ुशियों का सुख-हर्ष का , कभी न आए अंत !!


♥ बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! ♥

- राजेन्द्र स्वर्णकार

Satish Saxena said...

ड़ा प्यार गीत है यह ! शुभकामनायें आपको ! !

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

तब पूनम की रातो में संग-संग विचरना
वो फूलो की सेजों पे खुद में सिमटना
वो कंपते से अधरों पे चुम्बन की वर्षा
याद है वो दोनों का एक होकर मिलना
प्रिय हरी शर्मा जी नमस्कार आप की रचनाये व् लेख बहुत सुन्दर लगा
उपर्युक्त पंक्तियाँ बहुत सुन्दर हैं -बधाई हम भी आप के साथ चल पड़े अपना सुझाव व् समर्थन दीजिये न
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5

दर्शन कौर धनोय said...

पूनम की रातो में संग-संग विचरना
वो फूलो की सेजों पे खुद में सिमटना
वो कंपते से अधरों पे चुम्बन की वर्षा
याद है वो दोनों का एक होकर मिलना
Bahut sunder rachna likhi hei ...

दर्शन कौर धनोय said...

बहुत खुबसूरत गीत है ...'आओ ना मितवा अभी मन है प्यासा '.....