आओ ना मितवा अभी मन है प्यासा
रुको जब तक हलचल है जीवित है आशा
यमुना का तट था औ कदम्बो की डाली
बिन राधा थे बैठे जहा श्याम खाली
बरनिया के कुंजो मे झूल्र थे हम तुम
उन सखियों से छिपकर मिले भी थे आली
तब पूनम की रातो में संग-संग विचरना
वो फूलो की सेजों पे खुद में सिमटना
वो कंपते से अधरों पे चुम्बन की वर्षा
याद है वो दोनों का एक होकर मिलना
याद है वो स्वप्निल सी भीगी-भीगी राते
तुमने लिखे ख़त और मीठी-मीठी सी बाते
जाओ ना मितवा अभी मौसम है प्यारा
अकेले खेल में झेलूँगा रोज शह और माते
आओ ना मितवा अभी मन है प्यासा
रुको जब तक हलचल है जीवित है आशा
25 comments:
बहुत सुन्दर गीत!!
सुन्दर गीत के लिये बधाई
bahut hi khubsurat geet likhi hai aapne... bahut hi naazuk, nafis... maasomiyat ki baaten ki hai ... bahut achhi lagee... badhaayee kubul karen sahib..
arsh
bahut hi bhavpoorn aur sundar geet
याद है वो स्वप्निल सी भीगी-भीगी राते
तुमने लिखे ख़त और मीठी-मीठी सी बाते
जाओ ना मितवा अभी मौसम है प्यारा
अकेले खेल में झेलूँगा रोज शह और माते
....geet bahut sundar hei....ye lines bahut hi acchi lagi
अद्भुत रचना
बहुत ही भावपूर्ण और सुन्दर अभिव्यक्ति ....
बहुत रूमानी है.
सुन्दर गीत प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद!
आहाहा वाह वाह क्या बात है हरि भाई ....सुंदर अति सुंदर ..मजा आ गया बहुत ही बढिया लगा ...
अजय कुमार झा
सुन्दर है! बात मानी गयी कि नहीं?
सुन्दर प्रेम गीत
याद है वो स्वप्निल सी भीगी-भीगी राते
तुमने लिखे ख़त और मीठी-मीठी सी बाते
जाओ ना मितवा अभी मौसम है प्यारा
अकेले खेल में झेलूँगा रोज शह और माते
अति सुंदर
bahut bhawmay narm ahsas se bheega hua ...
प्यारा गीत ,बधाई
हरी जी ..इस उम्दा गीत के लिए बधाई...आपकी यह रचना और ब्लॉग आज मैंने चर्चामंच पर रखा है.. ...आप वहाँ भी अपनी अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराएं .. धन्यवाद ...
http://charchamanch.blogspot.com/2011/02/blog-post_18.html
आओ न मितवा...बहुत प्यारी रचना। बधाई आपको।
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
vaivahik varshganth ki bahut bahut shubhkamnayen.
sundar geet.phir se bahut bahut badhaiyan...
आदरणीय हरि शर्मा जी
सादर सस्नेहाभिवादन !
आओ ना मितवा अभी मन है प्यासा
बहुत सुंदर गीत है , बधाई !
पूनम की रातो में संग-संग विचरना
वो फूलो की सेजों पे खुद में सिमटना
वो कंपते से अधरों पे चुम्बन की वर्षा
याद है वो दोनों का एक होकर मिलना
आपके ब्लॉग की बहुत सारी रचनाएं देखी , सभी सरस सुंदर और पठनीय हैं ।
बहुत आनन्द आया आपके यहां आ'कर !
♥ बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! ♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आदरणीय हरि शर्मा जी
आज आपकी वैवाहिक वर्षगांठ है
हार्दिक बधाई !
जीवन में खिलता रहे , बारह मास बसंत !
ख़ुशियों का सुख-हर्ष का , कभी न आए अंत !!
♥♥ बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! ♥
♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
ड़ा प्यार गीत है यह ! शुभकामनायें आपको ! !
तब पूनम की रातो में संग-संग विचरना
वो फूलो की सेजों पे खुद में सिमटना
वो कंपते से अधरों पे चुम्बन की वर्षा
याद है वो दोनों का एक होकर मिलना
प्रिय हरी शर्मा जी नमस्कार आप की रचनाये व् लेख बहुत सुन्दर लगा
उपर्युक्त पंक्तियाँ बहुत सुन्दर हैं -बधाई हम भी आप के साथ चल पड़े अपना सुझाव व् समर्थन दीजिये न
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 5
पूनम की रातो में संग-संग विचरना
वो फूलो की सेजों पे खुद में सिमटना
वो कंपते से अधरों पे चुम्बन की वर्षा
याद है वो दोनों का एक होकर मिलना
Bahut sunder rachna likhi hei ...
बहुत खुबसूरत गीत है ...'आओ ना मितवा अभी मन है प्यासा '.....
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