तुम हो कलाकार चौतरफा हम ठहरे भैया अज्ञानी
१६ सितम्बर को कोटा से अपना कार्यक्रम समाप्त कर दिन में जयपुर पहुंचे मराठी कवि, लेखक, वक्ता और कार्यक्रम संचालक श्री प्रसाद कुलकर्णी के साथ ब्लॉग लेखक हरि शर्मा अपने निवास पर.शब्दों के सौदागर हो तुम ये तो था मालूम हमें
यारो के भी यार बनोगे ये हमको मालूम ना था
जीवन क्या है एक यात्रा आनंदों से भरी हुई
अपनी भाषा सर माथे बस खुसबू से भरी हुई
प्रसाद कुलकर्णी जी ने अपनी इस यात्रा की समाप्ति पर जो तुरंत सन्देश भेजा वो नीचे चिपका दिया गया है. मैं उनके मराठी समुदाय के कार्यक्रम में शामिल हुआ. भाषा की समस्या थी और सिर्फ मेरे लिए उन्होंने अपने कुछ मराठी मुक्तको का हिन्दी अनुवाद करके सुनाया.
एक चुटकुले पर जब मैंने ताली बजाई तो उन्होंने चुटकी ली कि इस मराठी चुटकुले पर उस मित्र ने ताली बजायी है जिसे मराठी बिल्कुल नही आती. वैसे में उसका मतलब समझ गया था. चुटकुला हिन्दी में कुछ इस प्रकार था -
एक पुरुष बाजार जाएगा तो काम की ३० रुपये की वस्तु ५० रुपये में खरीद लाएगा लेकिन अगर महिला बाजार जायेगी तो ५० रुपये की उस वस्तु ३० रुपये में ले आयेगी जो उसे कभी काम ना आनी हो.
Hariji, namsakar.
My Jaipur tour became most memorable because of you.
Your passion towards poetry and a strong will to strengthen the bond of friendship made me to remeber you for a lifetime.
I am enclosing herewith our photo taken at your home.
Rest all ok.
phir milenge.
11 comments:
इंटरनेट स्लो रहने के कारण चित्र तो न देख सकी .. पर पोस्ट पढकर अच्छा लगा !!
अच्छी मुलाकात रही
चित्रमय झांकी प्रस्तुत करने के लिए आभार
बढ़िया रहा मुलाकात का विवरण.
चुटकुले और शायरीमय मिलन की बधाई!
बहुत बढ़िया मुलाकात रही ......धन्यवाद और आभार !
प्रिय हरी जी,
महक दोस्ती की कभी कम नही होगी
दोस्ती से जिंदगी कभी कम नही होगी
जब आप जैसे दोस्त मिल जाये जिंदगी में
तो जिंदगी स्वर्ग से कभी कम नही होगी.
-प्रसाद कुलकर्णी
I am very happy to see you great personalty.
मुलाकात की चित्रमय प्रस्तुति बहुत ही अच्छी लगी.ऐसे ही आप दिग्गज लेखको,कवियों से मिलते रहें और हमें मिलवाते रहें.
बढ़िया रहा मुलाकात का चित्रमयी विवरण.
यारी ज़िन्दाबाद
प्रसाद जी कहां से आये थे? उनसे कहिए हिंदी वो गंगा है जिसमें हर किसी को अपने स्नेह के रस में डुबो लेती है और यारों के लिए तो सागर तक का सफ़र तय कर लेती है,सागर किनारे से उठ कर दोस्ती का पहाड़ चढ़ कर तो देखो
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