Sunday, May 2, 2010

घर मे चले राज सिर्फ़ बीबी का - भले तुम तीसमारखा ही हो


चाहे तुम  सारी दुनिया के राजा हो

भले तुम सबसे खतरनाक हो

भले ही तुम  परम स्वतन्त्र हो

भले ही सारी दुनिया तुम्हारे बस मे हो

भले ही तुम्हे सभी प्यार करते हो

भले ही तुम सभ्य और शरीफ़ हो


भले ही तुम खूखार शिकारी हो
तुम्हारे घर मे इसी तरह सिर्फ़ पत्नि की ही चलती है
बाहर भले ही खुद को तीसमारखा ही क्यू ना  समझते रहो

17 comments:

Shri"helping nature" said...

shandar .............
khubsurat

राज भाटिय़ा said...

शर्मा जी जिस का घर है उसी का राज चलेगा ना, ओर घर तो घरवाली से ही बनता है.....वेसे शेर जेसी बीबी हो तो पता नही फ़िर क्या होता होगा:)

परमजीत सिहँ बाली said...

वाह!! बहुत सही प्रस्तुति।बढिया!!

Ra said...

वाह ! हामारे घर का राज़ आपको भी पता है :) :) :)

http://athaah.blogspot.com/

rashmi ravija said...

हा हा लगता है बड़े दुखी मन से लिखा है...पर सच तो सच है :)

Khushdeep Sehgal said...

आदमी का दिमाग पैदा होने के साथ ही चलने लगता है...चलता रहता है, चलता रहता है...दिन रात बिना थके...कहीं नहीं रुकता ये सिलसिला...थमता है तो उस दिन...

...

...

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जिस दिन उस आदमी की शादी हो जाती है...

जय हिंद...

दिनेशराय द्विवेदी said...

घर होता ही औरतों का है। उन्हें बच्चे पैदा कर पालने जो होते हैं। मर्दों का तो क्या मदद की तो की नहीं तो नहीं की। अब घऱ में राज तो उसी का चलेगा जिस का घर होगा। मर्द तो वास्तव में घऱ पर अतिक्रमी है।

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

इसी पर एक चुटकुला...
एक आदमी ने दूसरे से कहा की तुम बाहर तो बड़े शेर बने घूमते हो, घर पर क्या हो जाता है?
दूसरे आदमी ने कहा की घर पर शेर के ऊपर दुर्गा माता सवार हो जाती है.
घर में अच्छे अच्छे शेरों का यही हाल है.....................ये तो भला हो की हमारी दुर्गा माता ब्लॉग वगैरह नहीं देखतीं.......नहीं तो.....
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

Udan Tashtari said...

हा हा!!!


यही हालात हैं. :)

M VERMA said...

ये तो घर घर की कहानी है

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

दुनियादारी का सही चित्रण!

राजीव तनेजा said...

सत्य वचन प्रभु....

रंजन (Ranjan) said...

sahi he...

riya thakur said...

ye kisi ki aatm vyatha jesa lagat a he..? hahahahh

शरद कोकास said...

मतलब शेर भी......

Anonymous said...

bilkul sahi

Pramendra Pratap Singh said...

हा हा हा,

दर्द वाला ही दर्द समझ सकता है। :)