चाहे तुम सारी दुनिया के राजा हो
भले तुम सबसे खतरनाक हो
भले ही तुम परम स्वतन्त्र हो
भले ही सारी दुनिया तुम्हारे बस मे हो
भले ही तुम्हे सभी प्यार करते हो
भले ही तुम सभ्य और शरीफ़ हो
भले ही तुम खूखार शिकारी हो
तुम्हारे घर मे इसी तरह सिर्फ़ पत्नि की ही चलती है
बाहर भले ही खुद को तीसमारखा ही क्यू ना समझते रहो
17 comments:
shandar .............
khubsurat
शर्मा जी जिस का घर है उसी का राज चलेगा ना, ओर घर तो घरवाली से ही बनता है.....वेसे शेर जेसी बीबी हो तो पता नही फ़िर क्या होता होगा:)
वाह!! बहुत सही प्रस्तुति।बढिया!!
वाह ! हामारे घर का राज़ आपको भी पता है :) :) :)
http://athaah.blogspot.com/
हा हा लगता है बड़े दुखी मन से लिखा है...पर सच तो सच है :)
आदमी का दिमाग पैदा होने के साथ ही चलने लगता है...चलता रहता है, चलता रहता है...दिन रात बिना थके...कहीं नहीं रुकता ये सिलसिला...थमता है तो उस दिन...
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जिस दिन उस आदमी की शादी हो जाती है...
जय हिंद...
घर होता ही औरतों का है। उन्हें बच्चे पैदा कर पालने जो होते हैं। मर्दों का तो क्या मदद की तो की नहीं तो नहीं की। अब घऱ में राज तो उसी का चलेगा जिस का घर होगा। मर्द तो वास्तव में घऱ पर अतिक्रमी है।
इसी पर एक चुटकुला...
एक आदमी ने दूसरे से कहा की तुम बाहर तो बड़े शेर बने घूमते हो, घर पर क्या हो जाता है?
दूसरे आदमी ने कहा की घर पर शेर के ऊपर दुर्गा माता सवार हो जाती है.
घर में अच्छे अच्छे शेरों का यही हाल है.....................ये तो भला हो की हमारी दुर्गा माता ब्लॉग वगैरह नहीं देखतीं.......नहीं तो.....
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
हा हा!!!
यही हालात हैं. :)
ये तो घर घर की कहानी है
दुनियादारी का सही चित्रण!
सत्य वचन प्रभु....
sahi he...
ye kisi ki aatm vyatha jesa lagat a he..? hahahahh
मतलब शेर भी......
bilkul sahi
हा हा हा,
दर्द वाला ही दर्द समझ सकता है। :)
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