फिलाडेल्फिया नाम का शहर है
वहा रहते है बहुत पुराने दोस्त
कहने को अभासी पर लौकिक ही है
कई साल से बसे हुए है वहा
सन्जीव अपने परिवार के साथ
आज जब उनसे हुई बात
पूछा हमने कैसे है हालचाल
हटा रहा हू वर्फ़ के पहाड
जमी है २ -२ फ़ीट वर्ग
गाल बेहाल है यहा हमारा
आप पूछते हो क्या हाल है
वर्फ़ की जब बात सुनी तो
जिग्यासा मन मे उठी
कैसी दिखती होही वर्फ़
कैसा वातावरन होगा
क्या मनोरम छटा होगी
तनिक हमको दिखा तो दो
कहने लगे शर्मा जी
जिधर भी नजर डालो
वर्फ़ की ही माया है
वर्फ़ का ही साया है
वर्फ़ मे कोई सडक पे
निकल नही पाया है
हमने तब उनसे पूछा
क्या वहा हमेशा ही
ऐसा ही मौसम है
ऐसे ही वर्फ़ का
चारो दिशाओ मे
खुला खेल होता है
इस पर वो कहते है
आखिरी के महीनो मे
हर साल ऐसे ही
देखने मे आया है
यहा का मौसम तो
वर्फ़ीला ही होता है
लेकिन इस बार तो
१६० साल के बाद
इतनी वर्फ़ पडी है
सूरज के दर्शन नही
मौसम तो अच्छा है
पर परेशानी बडी
(चित्र गूगल से साभार )
5 comments:
हालत खराब हो गई. चित्र तो यूँ भी सब कह ही रहे हैं.
vaakai halat kharab hogi, hame to dekhte hi thand lag rahi hai.
aabhaasi duniya ke mitr bahut badiya !!!
हे ईश्वर!! इतनी बर्फ़!! क्या हाल हुआ होगा वहां...जानदार तस्वीरों से अनुमान तो लगा ही रहे है हम.
इतनी बर्फ देखकर लगता है कि धरती का पानी खत्म नहीं होना चाहिये
हमें तो तस्वीरें बड़ी अच्छी लग रही हैं पर जिन्हें भुगतना पड़ता होगा...वे बेचारे झेल रहें होंगे...
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