सभी ब्लोगर भाई बहिनो को दीपावली की अनगिन शुभकामना.
बुद्धू बक्से पर सच का सामना करते आपने बहुतो को देखा होगा आओ मै आपको एक ऐसे सच का सामना कराता हू जिसके बारे मे़ आपकी जानकारी कम ही होगी.
बुद्धू बक्से पर सच का सामना करते आपने बहुतो को देखा होगा आओ मै आपको एक ऐसे सच का सामना कराता हू जिसके बारे मे़ आपकी जानकारी कम ही होगी.
समाज मे बहुत लम्बे समय से एक मिथक प्रचारित है कि बैंक अधिकारी बहुत मोटे वेतन पाते है इसके बाबजूद इन्हे जब देखो ये हडताल करते रहते है. इस सच का दूसर भाग ये है कि सिर्फ़ बैको मे़ ही काम नही तो वेतन नही का कडाई से पालन होता है अन्य बिभागो मे उन दिनो का समायोजन अबकाश के रूप मे हो जाता है.
एक सिद्धान्त है पहले योग्य बनो फिर चाहो. बैको का पिछ्ला वेतन समझौता ०१.११.२००२ से लागू हुआ था और इसे ०१.११.२००७ से सन्शोधित होना था जिसके लिये वार्ताओ के दौर पे दौर चल रहे है. पहले हम २००२ से २००९ तक इन सार्वजनिक क्षेत्र के बैको के प्रदर्शन पर एक निगाह डाले जिससे पता चले कि वो कैसा काम कर रहे है.
२००२ २००७ % बढोतरी २००९ % बढोतरी
( राशि करोड रुपये मे़ )
कुल जमा ९६८७४९ १९९४१९९ १०६ ३११२७४८ २२१
कुल अग्रिम ४८०६८० १४४०१४६ २०० २२६०१५५ ३७०
शुद्ध आय ८३०२ १६३९८ १४६ ३४३१९ ३१३
प्रति कर्मचारी व्यबसाय १.९२ ७.५५ २९० ११.३७ ४९२
ये कुछ चुने हुए मानक लिये है वैसे जिस मानक पर भी देखे पिछले ५-७ साल मे सभी सर्वजनिक क्षेत्र के बैको ने शानदार प्रदर्शन किया है जिसे सरकार ने भी समय समय पर खुले दिल से माना है. समय समय पर विश्व मन्चो पर भी सराहना पायी है और खुद भी अपनी पीठ थपथपाने मे कोई कोताही नही बरती है लेकिन जब उन्ही बैक कर्मियो के वेतन बढोतरी का सवाल आया तो सरकार और सरकार के पैरोकार दीवाल पर लिखे हुए सच को पढने से इन्कार करते है. आर्थिक मन्दी का सामना जिस क्षेत्र ने सीना तान कर दिया और देश के आर्थिक बाज़ार को मजबूती से थामे रखा उसे सरकार इस लायक भी नही मानती कि बाकी सब उद्योगो के बराबर खडा होने दे.
आओ एक नज़र दालते है इतिहास पर और इतिहास के उस बिन्दु पर जहा से हालात बिगडने लगे. इसे एक टेबल से समझे -
१९७९ से १९७९ १९८६ १९९६ २००६
पूर्व
( राशि रुपये मे )
नया बैक अधिकारी ५०० ७०० २१०० ७१०० १००००
भारत सरकार का ४५० ७०० २२०० ८००० २१०००
क्लास १ अधिकारी (१५६००+५४००)
वर्तमान मे जो वार्ता चल रही है और जो सहमति लगभग बन गयी है उसके अनुसार १७.५ % की कुल बढोतरी होना तय माना जा रहा है जो कि ऊट के मुह मे जीरे के समान है इसके हिसाब से एक बडा हिस्सा बहुत सी बैको मे पेंशन का विकल्प देने के लिये रखा गया है उसके बाद जो गणना हो रही है उसके हिसाब से बैक अधिकारी का मूल वेतन १४००० से अधिक नही होगा. इसका अर्थ हुआ ७००० रुपये का मूल वेतन मे अन्तर इसके बाद सरकारी अधिकारियो को महानगरो मे ३०% मकान किराया मिलता है जबकि बैक अधिकारी को ९%.
आइये कुछ और बातो पर गौर करे -
१. बैक अधिकारी सप्ताह मे ७ दिन देर शाम तक काम करता है जबकि सरकारी अधिकारी सप्ताह मे ५ दिन निश्चित समय तक ही काम करता है.
२. बैक अधिकारी से निजी क्षेत्र से व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा मे खरा उतरने की उम्मीद है और उसे वो पूरा भी करते है लेकिन वेतन नगर पालिका के कर्मचारियो से कम मिलता है.
३. एक परिवीक्षाधीन बैंक अधिकारी को सरकार के एक क्लर्क से कम वेतन मिलता है.
४. एक बैंक क्लर्क सरकार में एक चपरासी से भी कम वेतन पाता है.
५. आज बैंक का एक जनरल मैनेजर भारत सरकार के एक अनुभाग अधिकारी से कम वेतन पाता है.
ये लेख एक व्यन्ग भी है और एक सचाई भी. आप सब जिन्होने इसे पढा एक सच का सामना किया.
१९७९ - एक वो भी दिवाली थी - तब मै १०वी मे था अधिक से अधिक पटाखे खरीदता था
२००९ - एक ये भी दिवाली है - आज मेरा बेटा १० वी मे है वो कम से कम पटाखे खरीदना चाह्ता है
5 comments:
main bahut prabhavit hua aapke is blog par vichar dekh kar. Mai bhi Labour & Employees Movements se juda raha jusme Pay hick ke liye bahut dino Jail me bitayee hain. Unity jis jagah hogi Democracy me woh rights ke liye aggitate honge.
I appriciate.
सुख, समृद्धि और शान्ति का आगमन हो
जीवन प्रकाश से आलोकित हो !
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
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ताऊ किसी दूसरे पर तोहमत नही लगाता-
रामपुरियाजी
हमारे सहवर्ती हिन्दी ब्लोग पर
मुम्बई-टाईगर
ताऊ की भुमिका का बेखुबी से निर्वाह कर रहे श्री पी.सी.रामपुरिया जी (मुदगल)
जो किसी परिचय के मोहताज नही हैं,
ने हमको एक छोटी सी बातचीत का समय दिया।
दिपावली के शुभ अवसर पर आपको भी ताऊ से रुबरू करवाते हैं।
पढना ना भूले। आज सुबह 4 बजे.
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाए
हेपी दिवाली मना रहा हू ताऊ के संग
मै तो चला टाइगर भैया के वहा, ताऊजी के संग मनाने दिवाली- संपत
ताऊ किसी दूसरे पर तोहमत नही लगाता-
रामपुरियाजी
अपनी खूबियों का बखान करना चाहिए पर उनकी तुलना में अन्यों की बुराईयां बतलाकर नहीं। यानी उसकी कमीज मेरी कमीज से सफेद वाली शैली में नहीं। सच्चाई तो होती ही व्यंग्य है। शर्मा जी की इस बात से मैं इत्तेफाक रखता हूं।
दिवाली की समस्त शुभकामनाएं पुरे परिवार को ...
अर्श
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
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