लडकियां उडाती हैं पतंगे
लेकिन चरखी कोई और पकड़ता है
वो डोर पकड़ती है
पतंग को छुट्टी कोई और देता है
लेकिन चरखी कोई और पकड़ता है
वो डोर पकड़ती है
पतंग को छुट्टी कोई और देता है
वो पतंग तो उडाती हैं
तंग कोई और ही बांधता है
या वो उडाती हैं
पतंगे जो कटके छत पे आती हैं
उनकी पतंग उडती भी है
आकाश में लेकिन
घरवालेआगाह करते हैं
पेच ना लड़ाने की सीख देते हैं
जो लडकियां पतंग उडाती हैं
तो उनसे ये भी कहा जता है कि
भले कोई ढील दे
तुम्हें अपनी डोर खीचके ही रखनी है
हाँ लड़किया पतंग उडाती है
पर क्या पता उसे आसमान निगलता
या धरती खाती है
शाम होते गगन में आवारा पतंगे रहती हैं
पर क्या पता उसे आसमान निगलता
या धरती खाती है
शाम होते गगन में आवारा पतंगे रहती हैं
15 comments:
सही कहा आपने ये लडकियो को दिये जाने वाले संस्कार हैपर पतंग तभी उड सकती है जब ढील दिया जाये................नही तो सम्भव ही नही है.
उनकी पतंग उडती भी है
आकाश में लेकिन
घरवालेआगाह करते हैं
पेच ना लड़ाने की सीख देते हैं..
हकीकत बयान की है आपने..
bahut sunder lagi ye post ....kuch panktiya uljhi hui jaroor lagi par unme aapke bhav bahut suljhe hue hai jo samajh aa gaye hai ....
bhut achchhi rachna
ऊपर से
बहुत साधारण ,सरल सी दिखने वाली बात अन्दर से बहुत गहरायी लिए हुवे ..
awesome !!
bahotahi achhii Hari
26 जनवरी पर पतंग
अपना तो है हाथ तंग
पतंग आप कह रहे हैं
उडाती हैं लड़कियां
पर
बतलाऊं मैं पतंग ही
कहलाती हैं लड़कियां
फिर जब बनती है
कटी पतंग
तो पतंग पतंग नहीं
रहती
पतंग हो जाती है।
सच कहे तो लड़कियों को पतंग उड़ने कि आजादी नहीं होती हा वे पतंग जरुर बन जाती है अपनी डोर दूसरों के हाथ देकर |सच और कड़वा सच लिखने के लिए आपकी हिम्मत कि दाद देनी होगी
चलिए आपने लड़कियों से पतंग तो उडवाई...वरना अभी तक तो लड़के ही उड़ा रहे थे..पतंग भी , लड़कियाँ भी..!
लडकियां उडाती हैं पतंगे
लेकिन चरखी कोई और पकड़ता है
वो डोर पकड़ती है
पतंग को छुट्टी कोई और देता है
वो पतंग तो उडाती हैं
तंग कोई और ही बांधता है
या वो उडाती हैं
पतंगे जो कटके छत पे आती हैं..
katu satya...jise aapne bakhubi kaha..Hari Sharma ji.
लडकियां उडाती हैं पतंगे
लेकिन चरखी कोई और पकड़ता है
वो डोर पकड़ती है
पतंग को छुट्टी कोई और देता है
वो पतंग तो उडाती हैं
तंग कोई और ही बांधता है
या वो उडाती हैं
पतंगे जो कटके छत पे आती हैं..
katu satya...jise aapne bakhubi kaha..Hari Sharma ji.
abhaar neelam ji geet kee mool bhaavna ko samajhne ke liye.
jaipur mai aaj din bhar patangvaajee hotee hai. meree astt ne job abhee abhee join kiya hai parso se vo kah rahe ethee sir patang kaise udaa paaungee chhuttee nahee hai aaj ke din to honee hee chaahiye. to maine poochha ki khud hee udaatee ho ya sirf bhai pita kee charkhee pakde rahtee ho. usne kaha ki mai to khud udaatee hoo . mujhe achchha laga.
वाह क्या पतंग के पेंच लड़ाये हैं।
nice one..
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पतंग
एक भावना
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