एक मारवाड़ी एक साधू के पास गया.
साधू से बोला,
गुरूजी म्हारी बीबी मन्ने परेशान करे
कोई उपाय बताओ
साधू बोला.
रे बाबला इको कोई उपाय होता
तो मैं कायको साधू बनतो
Saturday, May 22, 2010
इंटरनेशनल दिल्ली हिन्दी ब्लॉगर मिलन
आ रहे हैं आप
बुला रहे हैं हम
धूप डिगा पाएगी
क्या हमारे कदम ?
या अब बहाना कोई
नया बनायेंगे हम।
मानस में है भरपूर
विचारों की खजूर
खूब खाइये और
लुटाइये पोस्टों और
टिप्पणियों में जरूर।
टूट जाएं
छूट जाएं
मन के सारे
गरूर
प्यार में मिलें सब ऐसे
सारी दूरियां हो जाएं दूर।
Saturday, May 15, 2010
स्क्रैच करके पढ़ लेना जबाब
मनप्रीत सिंह का बेटा संता सिंह पढ़ाई में निरा पोंगा था।
प्रश्नपत्र देखकर उसकी हालत खराब हो गई। आख़िर उसने हर प्रश्न का जवाब कुछ यूँ दिया:
1. भारत की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर: #/#/#/#/#/#/#
2. भारत की जनसंख्या कितनी है?
उत्तर: #/#/#/#/#/#/#
3. भारत में कितने राज्य हैं?
उत्तर: #/#/#/#/#/#/#
अंत में संता ने लिखा, गुरूजी, मोबाइल रीचार्ज कराने के लिए कार्ड स्क्रैच करते हो न? उत्तर भी स्क्रैच करके पढ़ लेना।"
प्रश्नपत्र देखकर उसकी हालत खराब हो गई। आख़िर उसने हर प्रश्न का जवाब कुछ यूँ दिया:
1. भारत की राजधानी का नाम लिखें।
उत्तर: #/#/#/#/#/#/#
2. भारत की जनसंख्या कितनी है?
उत्तर: #/#/#/#/#/#/#
3. भारत में कितने राज्य हैं?
उत्तर: #/#/#/#/#/#/#
अंत में संता ने लिखा, गुरूजी, मोबाइल रीचार्ज कराने के लिए कार्ड स्क्रैच करते हो न? उत्तर भी स्क्रैच करके पढ़ लेना।"
Wednesday, May 5, 2010
नदी के तट से देखा हमने - आत्म प्रकाश शुक्ला ( प्रसिद्द गीतकार )
नदी के तट से देखा हमने ऐसा अनगिन बार हुआ,
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ।
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ।
जेहन की खिड़की खोलके हमने जब-जब झांका जीवन में,
अपने अहम् को अपने कद से ऊंचा आँका जीवन में।
इतनी जेहनी हुई जिन्दगी जीना तक दुस्वार हुआ,
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ।
नदी के तट से देखा हमने -----
सोच समझ शतरंज बिछाई समझ बूझ कर चाल चली,
हैरत में रह गए देखकर अपनी सह पर मात मिली।
पिटती रही जतन की गोटें वक़्त का जय जयकार हुआ,
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ.
नदी के तट से देखा हमने - - - -
मिली किसी को भर के सुराही कही घूँट दो घूँट मिली,
मैखाने से कैसा शिकवा क्या साकी से टला माली।
hअमको जितनी मिली उससे से अपना उद्धार हुआ,
मिली किसी को भर के सुराही कही घूँट दो घूँट मिली,
मैखाने से कैसा शिकवा क्या साकी से टला माली।
hअमको जितनी मिली उससे से अपना उद्धार हुआ,
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ।
नदी के तट से देखा हमने - - - -
याचक बनकर कभी ना माँगा गरिमा हो या गुंजन हो,
गिरकर नही उठाया कुछ भी कौडी हो या कंचन हो।
सदा प्रार्थना की बेला में निराकार साकार हुआ,
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ।
नदी के तट से देखा हमने - - - -
नदी के तट से देखा हमने - - - -
याचक बनकर कभी ना माँगा गरिमा हो या गुंजन हो,
गिरकर नही उठाया कुछ भी कौडी हो या कंचन हो।
सदा प्रार्थना की बेला में निराकार साकार हुआ,
तैरने बाला डूब गया था डूबने बाला पार हुआ।
नदी के तट से देखा हमने - - - -
Sunday, May 2, 2010
घर मे चले राज सिर्फ़ बीबी का - भले तुम तीसमारखा ही हो
चाहे तुम सारी दुनिया के राजा हो
भले तुम सबसे खतरनाक हो
भले ही तुम परम स्वतन्त्र हो
भले ही सारी दुनिया तुम्हारे बस मे हो
भले ही तुम्हे सभी प्यार करते हो
भले ही तुम सभ्य और शरीफ़ हो
भले ही तुम खूखार शिकारी हो
तुम्हारे घर मे इसी तरह सिर्फ़ पत्नि की ही चलती है
बाहर भले ही खुद को तीसमारखा ही क्यू ना समझते रहो
Subscribe to:
Posts (Atom)