क्यो जाना पडा ललित भाई को ब्लोगिन्ग से
ये है वो टिप्पणी रूपी चीन्टी जिसने ब्लोगरी के हाथी पर प्रहार किया है.
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ललित बहुत दिनो से सोच रहा था था कि तुमसे कुछ कहूं आक लेकिन अवसर आ गया है कि इस बारे मे कुछ कहा जाये।अफ़सोस की बात है की तुम्हारे आपस के झगड़े ने ने छत्तीसगढ मे ब्लागरों को दो गुटों मे बांत दिया है।तुम लाख दुहाई दो की तुम इससे अलग हो मगर तुम्हारी चर्चा का पैमाना बता देता है की तुम लोगों का हिडन एजेंडा क्या है?आईंदा मेरी पोस्त का लिंक देने की मेहरबानी मत करना बहुत दिनो से देख रहा हूं तुम लोगों का घिनौना खेल।एक दूसरे की पी्ठ थपथपाओ बस्।मेरी पोस्टो की उपेक्षा का सुनियोजित षड़यंत्र समझ रहा हूं मैं।तुम्हे किसी से नाराजगी है तो उससे मधुर संबंध रखने वालों को किनारे करने का तरीका बहुत पुराना अपनाया है तुमने।बेहद अफ़सोस की बात है जो पोस्ट ब्लागवाणी मे टापे चल रही हो उसे ठिकाअने लगाने की गरज़ से आपने चर्चा टिपण्णी पर केन्द्रित कर दी और उस मे भी किसको आगे लाने है और किसे पीछे करना है तय कर लिया था आपने।ऐसी ही घटिया हरकतें ब्लाग जगत को कम्ज़ोर कर रही हैं।दम है तो इस टिपण्णी को पब्लिश्ज करके दिखाना और एक कृपा औएर करना मेरे ब्लाग का लिंक कभी मत देना मुझे तुमहारे षड़यंत्र से नफ़रत है।अपने साथियों को भी बता देना मैने उन्हे पहचान लिया है।अलविदा ललित्।
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अनिल भाई, दोस्तो से कोई शिकायत हो तो उसे फोन या ईमेल से बता सकते थे. लेकिन आप से ये उम्मीद क्यू की जाये? आप तो सदा से जीबन के उच्चतम आदर्शो पर चलते रहे है. फिर भी ये दुनिया इतनी खूबसूरत इस लिये है कि इसमे ललित जी जैसे बहुत से उत्साही साधारण इन्सान भी है. जब इतनी साफ़ साफ़ टिप्पणी दी है तो ललित जी के दोस्तो की लिस्ट भी दे ही देते. शायद आपकी ये टिप्पणी ब्लोगिन्ग के इतिहास मे अमर हो जाती. लेकिन अफ़्सोस इसे कचरादान मे रखना पडेगा और फिर फ़ेन्क दिया जायेगा.
12 comments:
जल्दी में उठाया गया निराशाजनक कदम!
इसमें अवश्य ही कोई साजिश छिपी हुई महसूस हो रही है। खुले तो पता लगे।
बाद में आते हैं छानबीन करके
nice
ललित भाई के प्रकरण में प्रयास जारी हैं...अभी कुछ नहीं कह सकता...लेकिन हो सकता है आपको जल्दी ही अच्छी खबर मिले...
जय हिंद...
पोस्ट के शीर्षक मे जो प्रश्न है उसका उत्तर यहाँ नहीं है । शायद यह प्रश्न के रूप मे रखा ही नही गया है ।
Lagta to nahin ki Anil bhaia ka comment hai ye... aapne unse baat karke confirm kiya kya ki ye unhone hi likha hai.. ye jaroor koi aur hai jo jhagda karana chahta hai.
अफसोसजनक घटना!!
... ये सब छोटी-मोटी बातें हैं ..... मैं जानता हूं अनिल भाई और ललित भाई के बीच बहुत ही मधुर संबंध हैं .... कहीं न कहीं कुछ "मिस-अंडरस्टैंडिंग" हुई है .... ये भी देर-सबेर दूर हो जायेगी .... निसंदेह दोनों ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं दोनो की प्रतिभाओं पर कोई संदेह नहीं है!!!!
.... अगर इस विवाद का कारण ये टिप्पणी है तो मेरा दोनो "प्रतिभाशाली रत्नों" से अनुरोध है कि इसे अविलंब ही नजर-अंदाज करते हुये "एक नई मिशाल" प्रस्तुत करें ..... जो हम सब के लिये हितकर हो!!!!!
यार लोगो के पास खुरापात के लिये इतना टाईम कहाँ से मिलता है ?
aasha karte he jaldi aayenge
http://kavyawani.blogspot.com/
shekhar kumawat
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