मुंबई यात्रा में दोस्तों से मिलने का सिलसिला आगे बढ़ा और जिन शिप्रा वेरमा जी से रविवार मिलना नहीं हो सका उनसे सोमवार को मिलना तय हुआ. उनका घर मेरे ससुराल से बहुत दूर नहीं था और सोमवार को सवेरे घर से ऑटो किया और ठीक ९ बजे उनसे मिलने जा पहुचे. घंटी बजते ही प्रवीर जी ने स्वागत किया और हम दोनों ( मैं और मेरी पत्नी ) उनके फ्लैट में दाखिल हुए और नमस्कार और परिचय हुआ.
अंतरजाल पर तो हम लोग घंटो बात करते थे सो बहुत कुछ एक दूसरे के बारे में पता था और एक अपनेपन का रिश्ता भी है लेकिन वो सब अब वास्तविक और मूर्त रूप में शुरू हुआ. शिप्रा जी और प्रवीर जी को जिज्ञासा थी कि जब मैं देर रात तक अंतरजाल की सैर करता हू उस पर मेरी पत्नि की क्या प्रतिक्रया होती है. तो पत्नि ने बताया कि अब अंतरजाल है पहले किताबे होती थी तो ये या वो जी का जंजाल हमेशा रहा है. घर परिवार की बहुत सी बाते हुई. शिप्रा जी ने मुंबई मई नए सिरे से अपनी पहचान बनाने मई आई मुश्किलों के बारे मे बताया. शिप्रा जी ने अपने १ भजन और एक गीत को संगीत के साथ प्रस्तुत किया और मैंने अपने प्रिय गीतकार आत्म प्रकाश शुक्ल जी के कुछ गीत सुनाये. चाय नाश्ता हुआ जो कि पूरी तरह प्रवीर जी के द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम था और अंत में प्रवीर जी ने टैरो कार्ड की मदद से हमें भविष्य बताये.
वर्मा दंपत्ति से ये छोटी लेकिन बहुत प्यारी मुलाक़ात रही. हम बिछुड़ गए फिर कभी मिलने के लिए.
2 comments:
हमें भी मिलना था मगर पिछली यात्रा में तय होते होते रह गया..शायद आगे कभी. आपकी मुलाकात जान अच्छा लगा!
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
bahut achha!नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!
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