Thursday, April 8, 2010

जीवन का तुलन पत्र

जनम होता हमारा ओपनिंग बैलेंस यहाँ
आख़िरी की सांस होती क्लोजिंग बैलेंस जी
जिद है हमारी भैया करंट लाइबिलिटी यहाँ
सीखने की इच्छा है अपने असिट जी
दिल है हमारा भैया करंट असिट यहाँ
सुद्ध साफ आत्मा है फिक्सड असिट जी
बुद्धि दिमाग होता फिक्सड डिपॉजिट यहाँ
मेहनत से काम करना करंट अकाउंट जी
उपलब्धियाँ हमारी कैपिटल होती है यहाँ
चरित्र हमारा भैया स्टॉक इन ट्रेड जी
मित्रगन हमारे हैं जनरल रिज़र्व यहाँ
सद्व्यवहार हमारी गूडविल होता है जी
धैर्य है हमारे द्वारा अर्जित व्याज यहाँ
सबका मिला प्यार हमें मिले दिविदेंत जी
बाल बच्चे हमारे बोनस इशू है यहाँ
और शिच्छा है यहाँ ब्रांड और पेटेंट जी
ज्ञान हमारे द्वारा किया इनवेस्टमेंट यहाँ
अनुभव होता है हमारा प्रीमियम जी
आदमी को चाहिए इसे अक्यूरेट रखे
और चाहत ऐसी इसे साफ सुथरा रखे जी

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8 comments:

pragati haldar said...

Interesting!
aapne to philsophy ko accounts se link kar key ..life ki balancesheet bana dali...
yeh prayas mujhe bahut bhaya aapka Hari jee..
aise hi likhtey rahiye..

Unknown said...

प्रगति जी धन्यबाद. असल में मैं कवि होने का भ्रम नहीं पालता. लेकिन कुछ अलग से विचार हो तो उसे लिखने की कोशिश कभी कविता बन जाती है. छंद के जानकार कभी उसे कूडा करकट कह देते है पर कुछ लोगो तक यदि विचार ठीक से पहुँच जाये तो लगता है लिखना सार्थक हुआ.

Dr SK Mittal said...

Wonderful. great mind bogling

Dr SK Mittal said...

शब्द
ना होता महाभारत अगर द्रौपदी चुप रही होती
सीता ना हरी जाती अगर सुपरंखा बहरी हो गयी होती ।।

राम को बनवास नहीं होता अगर दशरथ ने शब्द नहीं दीये होते
कृष्ण आज गवाले होते अगर देवों के शब्द कंस को नहीं सुने होते ॥

शब्दों की महिमा बड़ी अहम् है,
पार ना पा सका इस से कोई ब्रह्म है
कल ही हमने देखा, गलत शब्दों पर
मायावती ने टिकैत की शक्ति का तौडा भरम है

मन्त्र शक्ति किसे नहीं मालुम शब्दों का जाल है
देवों को जो बुला सके यह शब्दों का ही कमाल है

यह शब्द ही हैं जो कराते दोस्ती
गलत शब्दों बोलोगे तो टूट सकती है खोपडी

गुरुजनों के शब्दों से स्वर्ग बनता है जीवन
प्रेमिका के मीठे शब्दों की याद में बीत जाता है सारा जीवन

घर पहुँचते ही सुनता है बच्चों की किलकारी को
या माता के मीठे शब्दों को या पत्नी प्यारी को

आज की राजनीति में इसका विशेष महत्त्व है
पांच साल की गद्दी का गूढ़ रहस्य है
बोलो, वादा करो वादे पर जीतो
फीर पांच साल बाद चुप्पी तोड़ो, गुमराह करो या गद्दी छोडो

सब शब्दों का जंजाल है. माँ के शब्दों का कमाल है
प्रेम से बोलो जय माता की, यह तो उस ही का मायाजाल है

शेरघाटी said...

bahut achchi hasy ke maarfat vyangyatmak tippani karti aapki kavita dhyaan kheenchti hai.

अविनाश वाचस्पति said...

तुलन पत्र अच्‍छा है
आप और कई सारे ऐसे पत्र बनाएं
जिसमें भ्रष्‍टाचार की तुलना बतलायें
उसका जीवन में महत्‍व बतलाते हुए
उसकी उपयोगिता, कालजयीता
मालजीता इत्‍यादि पर भरपूर
प्रकाश की बारिश करें।

पर्चा आपका
चर्चा अच्‍छी
लिए हुए

रंजना said...

बैंकिंग की तकनीकी भाषा में आपने पूरा जीवन दर्शन समझा दिया....
बहुत ही सुन्दर ग्रहणीय व प्रेरणाप्रद रचना...

vijay kumar sappatti said...

hari ji

bahut hi sahi kavita , aaj ke yug ke liye .....padhkar hi vichaar aa raha hai ki ,ek baar phir se soul searching kiya jaaye ...

dil se badhai sir ji

aabhar aapka

vijay