Monday, March 9, 2009

जिसका कोई ना पूछे हाल - उसके साथ गिरधारी लाल


स्वर्गीय गिरधारी लाल भार्गव
जन्म ११.११.१९३६ - देहावसान - ०८.०३.२००९
बार के पार्षद, ३ बार के विधायक और ६ बार सांसद
अगर कोई शहर स्वप्न देखे कि उसका जन प्रतिनिधि कैसा हो तो एक छवि उभरकर आती है और उसे नाम दिया जाता है गिरधारी लाल भार्गव। सच्चे जनसेवक, सामजिक कार्यकर्ता, सक्रिय पार्षद, जनप्रिय विधायक और बेहद लोकप्रिय सांसद गिरधारी लाल भार्गव अब स्मृति शेष हो गए हैं लेकिन अपने पीछे एक ऐसा जीवन इतिहास छोड़ गए हैं जो जयपुर शहर, राजस्थान और पूरे भारतवर्ष में एक अनूठी मिसाल बन गया है।
एक ऐसा व्यक्ति जो निरंतर राजनीतिक सफलताए पाता चला गया लेकिन उसकी मिलनसारिता और विनम्रता ज्यो कि त्यों बरकरार रही। चुनावों में जब उनके विरोधियो को उनके ख़िलाफ़ कहने को कुछ नही मिलता तो उनकी जो अप्रतिम विशेषता थी ( तीये की बैठको में भाग लेना, गरीबों की अस्थियों को स्वयं गंगाजी ले जाना, अधिक से अधिक सामाजिक कामो मैं भाग लेना और बिना जाती पाती की चिंता किए सबके साथ साम करना ) उसी का मखौल उडाया जता था।
मैंने ख़ुद देखा है उनका संस्कार जब वो कवि सम्मलेन सुनने जाते तो कभी मंच पर नही बैठे और अंत तक अग्रिम पंक्ति में बैठकर कवि सम्मलेन का आनंद उठाते। कितने राजनेता इतने सरल और सहज होते हैं। ६ बार सांसद चुने जाना उतना बड़ा कमल नही है जितना इस सरलता को सहेज कर रखना मुश्किल है।
अहमदाबाद में दिल का दौरा पड़ने से कल उनका निधन हो गया। भगवान से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे और परिवार को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।