Sunday, November 21, 2010

एक मुलाक़ात प्रसिद्ध गीतकार सोम ठाकुर से - हरि शर्मा


पिछली पोस्ट पर एक वादा किया था अपने आप से और आप सभी पाठकों से कि अगली पोस्ट पर सों ठाकुर से इस ब्लॉग के लिए की गयी बातचीत को ही प्रकाशित किया जाएगा. कार्य की व्यस्तता ने इतना समय तब से नही दिया कि बैठ कर इस काम को पूरा कर सकूं. आज दीपावली है और हमारे पास समय है उस बातचीत की यादों को ताज़ा करने का. 

आज के हमारे अतिथि, प्रसिद्ध गीतकार सोम ठाकुर के लिए मैं अकसर ये सोचता हू कि शरद पूर्णिमा की उज्जवल रात को ताजमहल पर पड़ने वाली किरणे अधिक शीतलता देती  हैं या सोम ठाकुर के स्वर से निकली कविता अधिक शीतला प्रदान करती है. ऐसे ही मेरे लिए ये भी कौतूहल का बिषय रहा है कि आगरे के प्रसिद्ध पैंठे को खाने से उनके गले की मिठास आज भी बरकरार है या पैंठे में मिठास इसलिए है क्युकी सोम ठाकुर जी वहां सोम वर्षा करते हैं. 

हरि शर्मा  - हिन्दी कवि सम्मेलनों के सबसे सम्मानित्र गीतकारो में से एक सोम जी मैं और मेरा परिवार  मेरे घर पधारने पर आपका हार्दिक स्वागत करते है. आपके पधारने से हमें बहुत प्रशन्नता हुई है. 
सोम ठाकुर - मुझे भी आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई है. कविता और गीतों के प्रति आपकी रूचि मुझे खुशी दे रही है.

हरि शर्मा    - सोम जी आपका जन्म कहाँ और कब हुआ ? 
सोम ठाकुर - मेरा जन्म आगरा में ५ मार्च १९३४ को हुआ

हरि शर्मा    - आपकी प्रारम्भिक शिक्षा कहाँ हुई ?
सोम ठाकुर - चौथी कक्षा तक मेरी पढ़ाई लिखाई घर पर ही हुई. घर पर ही एक अध्यापक पढ़ाने आते थे.  क्योकि मैं एक दुर्लभ   
इकलौती संतान था. मुझसे पहले 5 बच्चे ज़िंदा नही रहे, इसलिए मुझे कही बाहर नही जाने दिया गया. पांचवी कक्षा में मेरा प्रवेश राजकीय विद्यालय आगरा में हुआ. वहां से मैंने हाई स्कूल किया. पहले वो हाई स्कूल था अब वो इंटर कॉलेज हो गया है . 

हरि शर्मा    - इसके आगे की यात्रा आपकी कैसी रही ?
सोम ठाकुर - हाई स्कूल के बाद मैंने आगरा कॉलेज आगरा से जीव विज्ञानं बिषय के साथ  इंटर किया और फिर एक साल बी. एस. सी. में पढ़ा. लेकिन तब मेरी रूचि साहित्य और हिंदी कविता की तरफ हो गयी. फिर मैंने अंगरेजी साहित्य और हिंदी साहित्य के साथ बी.ए. किया और फिर हिंदी से एम ए किया और उसी कॉलेज में १९५९ से पढ़ाने लगा. १९५९ से १९६३ मैंने आगरा कॉलेज में पढ़ाया और फिर १९६३ से १९६९ तक सेन्ट जोन्स कॉलेज आगरा में पढ़ाया उसके बाद में इस्तीफा देकर मैनपुरी चला गया. 

हरि शर्मा    - मैनपुरी में आपने कहा पढ़ाया ?
सोम ठाकुर - मैनपुरी में नॅशनल कॉलेज भोगांव में मैंने बिभागाद्यक्ष के रूप में कार्य किया. 

हरि शर्मा   - आप भोगांव रहे हैं ?  मैंने भोगांव और  अलीपुर खेडा में नौकरी की है. इस कॉलेज का भोगांव में खाता था. अलीपुर खेडा में मैं शाखा प्रबंधक था तब ये कॉलेज रास्ते में पड़ता था.
सोम ठाकुर - अच्छा, वहा मैंने १९८४ तक नौकरी की फिर मैं अमेरिका चला गया. लेकिन अमेरिका जाने से पहले में कनाडा गया फिर केंद्र सरकार की तरफ से हिंदी के प्रसार के लिए मारीसस गया फिर अमेरिका चला गया. वहा मैं २००४  तक रहा फिर यहाँ वापिस आया तो मुझे मुलायम सिंह जी ने उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया और राज्य मंत्री का दर्जा दिया. वहा मैं साढ़े  तीन साल रहा. फिर मैं आगरा लौट आया. 

हरि शर्मा    - आपने अध्ययन, अध्यापन और हिन्दी सेवा की यात्रा के बारे  बताया. कविता से आपका जुडाब कैसे हुआ ?
सोम ठाकुर -   शुरूआत मैं तो हम जानते ही नहीं थे कि कविता क्या होती है, मेरे एक दोस्त और सहपाठी हैं शेर बहादुर ठाकुर थे जो आज बहुत बड़े भाषा विज्ञानी माने जाते हैं मेरा घर और उनकी कोठी पास पास थे और मेरे यहाँ बिजली नही थी उनके यहाँ थी. कविता से मेरा वास्ता नही था. गला अच्छा था सो फिल्मों के गाने चाव से गाता था. एक दिन उन्होंने कहा - som कविता सुनाने चलेंगे, सो हम उनके साथ चले गए. 

हरि शर्मा    - कैसा रहा ये पहला कवि सम्मेलन ?
सोम ठाकुर - वहा पहुचकर मैंने कहा कि खड़े होकर सुनेंगे. पसंद आये तो और रुकेंगे नही वापिस चले जायेंगे. उन दिनों हमारे पिताजी के सख्त आदेश थे कि दिए जलने से पहले घर जरूर आ जाना. कुछ कविता सुनी और हमें अच्छी लगी तो और सुनी. लोगों ने भी उनकी कविताओं को करतल ध्वनि दी और खूब शाबासी दी. हमें भी लगा कि ऐसी कविता हम भी कर सकते हैं. मैंने उन दोस्त से कही ये बात, तो वे बोले कि ये तो ईश्वर प्रदत्त गुण है. भावनाओं से मैं परिचित था और कंठ मेरा अच्छा था तो मैं पास के एक वाचनालय गया और वहा पता चला कि उन कवियों मैं से सर बलबीर सिंह रंग जी का कविता संग्रह प्रकाशित हुआ था. मैं जिस कवि का नाम लूं उसका कोई कविता संग्रह वहा नही था वो भी झुंझला गया थोड़ा. फिर उसने १०-१५ कविता संग्रह मेरे सामने रखे. उनमे दीक्षाना थी, जिसमे महादेवी जी की कविताएं और उनके बनाये चित्र थे.

इस ब्लॉग के पाठको से लंबा इंतज़ार कराने के लिए खेद प्रकट करता हूँ . पहले इरादा था कि एक ही पोस्ट में इसे पूरा कर लूंगा पर समयाभाव की कारण बाकी की बातें अगली पोस्ट में होंगी.
निरंतर ......
   
   
  




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8 comments:

विवेक रस्तोगी said...

वाह मजा आ गया, जल्दी ही अगला भाग प्रकाशित कीजिये। और साथ में कोई कविता का वीडियो भी होता तो और मजा आ जाता।

anurag jagdhari said...

भाई,आपका ये प्रयास अच्छा लगा .अगर पूरा साक्षात्कार एक बार में पढने को मिलता तो मज़ा दूना था.बधाई स्वीकार करें.

समयचक्र said...

साक्षात्कार बढ़िया लगा आगे की प्रतीक्षा में ...
प्रकाश पर्व और कार्तिक पूर्णिमा पर हार्दिक शुभकामनाएं....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सोमठाकुर जी से रूबरू करवाने का शुक्रिया!

Randhir Singh Suman said...

nice

बीना शर्मा said...

सोम जी से मुलाक़ात करवाने के लिए शुक्रिया |आप की लेखन शैली ने प्रभावित किया | अगली कड़ी के इंतज़ार में

anuradha srivastav said...

सोम जी से मुलाक़ात करवाने के लिए शुक्रिया .बचपन की कई यादें मुखर हो उठी जब सोम जी को रूबरू सुना था।

Anonymous said...

Dear All please check out www.somthakur.com