Saturday, October 3, 2009

विजयी भव!!!!

न अबला बन न ह्त्या कर
नारी जन जो जना हैं नर
न घात से डरप्रतिघात कर
मर्म पर आघात कर
स्व लघु कर आत्मा विराट कर
वार कर प्रहार कर
व्यक्तित्व कर प्रखर
ना प्यार कर ना दुलार कर
ना बन करुनाकर
जगत में व्याप्त अनाचार
चढा निज पर तीक्ष्ण धार
संचित कर मनोबल अपार
विजयी भव भवसागर कर पार