Monday, August 1, 2011

क्या समर्पित करू - डा. कुमार विश्वास (kya samarpit karoon)



बाँध दूँ चाँद, आँचल के इक छोर में
माँग भर दूँ तुम्हारी सितारों से मैं
क्या समर्पित करूँ  जन्मदिन पर तुम्हें
पूछता फिर रहा हूँ बहारों से मैं


गूँथ दूँ वेणी में पुष्प मधुमास के 
और उनको ह्रदय की अमर गंध दूं,
स्याह भादों भरी, रात जैसी सजल
आँख को मैं अमावस का अनुबंध दूं 
पतली भू-रेख की फिर करूँ अर्चना 
प्रीति के मद भरे कुछ इशारों से मैं 
बाँध दूं चाँद, आँचल के इक छोर में
मांग भर दूं तुम्हारी सितारों से मैं



पंखुरी-से अधर-द्वय तनिक चूमकर
रंग दे दूं उन्हें सांध्य आकाश का
फिर सजा दूं अधर के निकट एक तिल 
माह ज्यों बर्ष के माश्या मधुमास का
चुम्बनों की प्रवाहित करूँ फिर नदी
करके विद्रोह मन के किनारों से मैं
बाँध दूं चाँद, आँचल के इक छोर में
मांग भर दूं तुम्हारी सितारों से मैं

चित्र गूगल से साभार लिया गया है और गीत डा. कुमार विश्वास जी के कविता संकलन कोई दीवाना कहता है, जिसका प्रकाशन नये औरवेहतरीन रूप मे फ़्यूजन बुक्स ने किया है से लिया गया है. कुमार विश्वास आज के हिन्दी कवि सम्मेलनो के सबसे ज्यादा पसन्द किये जाने वाले कवि है और अन्तर्जाल पर उनकी लोकप्रियता नये कीर्तिमान कायम कर रही है. उनके बारे मे और जानकारी उनके अन्तर्जाल पते         (www.kumarvishwas.com) पर ली जा सकती है.