Thursday, April 21, 2011

प्यार की दस्तक - दर्शन कौर धनोए








पता नही मेरी राहे ,तुझ तक पहुंच पाएंगी या नही !
जिन्दगी के मेले में बहुत देर बाद मिले तुम !!


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अपने आप को ख़ुशी का लिहाफ ओढा,
मै खुद को बहुत सुखी समझती रही,
पर तुम्हारी एक प्यार -भरी 'दस्तक' ने
मेरे मोह को तोड़ डाला ,
छिन्न -भिन्न कर डाला ,
तुम्हारा दीवाना- पन !
मुझे पाने की ललक ! 
समर्पण की ऐसी भावना !
मुझे अंदर तक उद्वेलित कर गई ---!
मै कब तक चुप रहती ?
कभी तो मेरी भावनाए --
खुले आकाश में विचरण करने को मचलेगी !
अपने अस्तित्व को नकार कर --
मैने तुम्हे 'हां' तो नही की मगर ,
तुमने एक झोके की तरह ,
मेरी बिखरी जिन्दगी में प्रवेश किया, 
मुझे धरा से उठाकर अपनी पलकों पे सजाया 
मै अपने अभिमान में चूर 
तुम्हे 'न 'करती रही 
और तुम बड़ी सहजता से आगे बढ़ते रहे ---
कब तक ? आखिर कब तक ---
अपनी अतृप्त भावनाओं की गठरी को सम्भाल पाती ,
उसे तो गिरना ही था --
"जिसे चाहा वो मिला नही ?
   जो मिला उसे चाहा नही ?"
इस जीवन-रूपी नैया को ,
बिन पतवार मै कब तक खेऊ ,  
तुम मांझी बन ,मुझे पार लगाओ तो जानू  ?
तुम से मिलकर मेरी हसरते ! उमंगे जवान होने लगी                          
और मै अपने वजूद के ,
एक -एक तिनके को समेटने लगी  -- 
लिहाफ  खुलने लगा है ----------???  

यह गीत हमारी दोस्त ब्लोगर दर्शन कौर धनोए के ब्लोग से लिया गया है. मुम्बई की रहने बाली दर्शन कौर के ब्लोग तक जाने की लिंक ये है. http://armaanokidoli.blogspot.com/